क्या महिलाओं में आर्थराइटिस के मामले बढ़ रहे हैं? जानें बचाव के लिए जीवनशैली में क्या बदलाव लाएं

Click to start listening
क्या महिलाओं में आर्थराइटिस के मामले बढ़ रहे हैं? जानें बचाव के लिए जीवनशैली में क्या बदलाव लाएं

सारांश

क्या आप जानते हैं कि महिलाओं में आर्थराइटिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं? इस लेख में जानें, इसके कारण और बचाव के लिए महत्वपूर्ण जीवनशैली में बदलाव कैसे लाएं। इससे आप इस गंभीर समस्या से बच सकते हैं।

Key Takeaways

  • हेल्दी आहार का सेवन करें।
  • नियमित व्यायाम करें।
  • वजन को नियंत्रित रखें।
  • महिलाओं में आर्थराइटिस के लक्षणों पर ध्यान दें।
  • डॉक्टर से सलाह लें और हड्डियों की जांच करवाएं।

नई दिल्ली, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। आजकल जोड़ों में दर्द की समस्या केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही है, बल्कि युवाओं और विशेषकर महिलाओं में भी यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। पहले आर्थराइटिस को बढ़ती उम्र का संकेत माना जाता था, लेकिन अब यह कम उम्र में भी लोगों को प्रभावित करने लगा है। जब सुबह उठते हैं और जोड़ों में अकड़न, घुटनों में सीढ़ियां चढ़ते समय दर्द या उंगलियों में सूजन जैसे लक्षण दिखते हैं, तो उन्हें अवश्य ही नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है।

वैज्ञानिक अनुसंधान ने यह साबित किया है कि महिलाओं में आर्थराइटिस का खतरा पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक है। इसके पीछे केवल उम्र या हड्डियों की कमजोरी ही नहीं, बल्कि हार्मोनल बदलाव, इम्यून सिस्टम का असंतुलन और जीवनशैली में आए परिवर्तन भी मुख्य कारण हैं।

महिलाओं में एक विशेष हार्मोन, एस्ट्रोजन, हड्डियों और जोड़ों को मजबूत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन मेनोपॉज के बाद जब इस हार्मोन की मात्रा कम होती है, तब हड्डियां और जोड़ कमजोर होने लगते हैं। यही कारण है कि 50 की उम्र के बाद महिलाओं में जोड़ों की समस्याएं तेजी से बढ़ने लगती हैं।

गर्भावस्था के दौरान बढ़ा हुआ वजन और प्रसव के बाद शरीर में हुए परिवर्तन भी महिलाओं के जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं, विशेषकर कूल्हों और घुटनों पर। इससे आगे चलकर ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा बढ़ता है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, रुमेटाइड आर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियां महिलाओं में पुरुषों की तुलना में 2 से 3 गुना अधिक होती हैं। यह समस्या शरीर के इम्यून सिस्टम से जुड़ी होती है, जिसमें शरीर अपने ही जोड़ों को नुकसान पहुंचाने लगता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, 40 की उम्र पार करने के बाद 60 प्रतिशत महिलाओं में घुटनों से जुड़ी समस्याएं पाई जाती हैं। भारत में 70 प्रतिशत महिलाएं विटामिन डी की कमी से जूझ रही हैं, जो हड्डियों को कमजोर बनाकर आर्थराइटिस के खतरे को बढ़ा देती है। लेकिन यदि कुछ जरूरी सावधानियां बरती जाएं, तो इस बीमारी से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।

आर्थराइटिस से बचने के लिए सबसे आवश्यक है एक हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना। अपने आहार में पौष्टिक चीजें शामिल करें, जैसे दूध, दही, पनीर, और हरी सब्जियां जो कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ जैसे मछली, अखरोट और अलसी के बीज भी फायदेमंद हैं।

इसके अलावा हल्दी, लहसुन और अदरक जैसी चीजें सूजन को कम करने में मदद करती हैं।

नियमित रूप से व्यायाम करें, जैसे योग, स्ट्रेचिंग, वॉकिंग या साइक्लिंग, ये जोड़ों को लचीला बनाए रखने में सहायता करते हैं। यदि आपका वजन अधिक है, तो उसे कम करने का प्रयास करें, क्योंकि अधिक वजन जोड़ों पर दबाव बढ़ाता है। मेनोपॉज के बाद हड्डियों की जांच करवाना और डॉक्टर की सलाह लेना भी आवश्यक है, ताकि समय पर जरूरी कदम उठाए जा सकें।

Point of View

मैं यह कहना चाहूंगा कि हमारे समाज में महिलाओं में आर्थराइटिस के मामलों की बढ़ती संख्या एक गंभीर चिंता का विषय है। समय पर जागरूकता और सही जीवनशैली के अपनाने से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
NationPress
18/08/2025

Frequently Asked Questions

महिलाओं में आर्थराइटिस के लक्षण क्या हैं?
महिलाओं में आर्थराइटिस के लक्षणों में जोड़ों में दर्द, अकड़न, और सूजन शामिल हैं।
आर्थराइटिस से बचने के लिए क्या करें?
आर्थराइटिस से बचने के लिए हेल्दी आहार अपनाएं, नियमित व्यायाम करें और वजन को नियंत्रित रखें।
क्या विटामिन डी का कमी आर्थराइटिस का कारण है?
हाँ, विटामिन डी की कमी हड्डियों को कमजोर बनाकर आर्थराइटिस का खतरा बढ़ा सकती है।
महिलाओं में आर्थराइटिस का खतरा क्यों बढ़ता है?
महिलाओं में आर्थराइटिस का खतरा हार्मोनल बदलाव और इम्यून सिस्टम का असंतुलन के कारण बढ़ता है।
क्या योग से आर्थराइटिस में राहत मिल सकती है?
हाँ, योग और अन्य व्यायाम जोड़ों को लचीला बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।