क्या गुड़ मेटाबॉलिज्म और कैलोरी बैलेंस को बिगाड़ सकता है?
सारांश
Key Takeaways
- गुड़
- संतुलित मात्रा में गुड़ का सेवन फायदेमंद है।
- अधिकता से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- गुड़ की गुणवत्ता सुनिश्चित करें।
- वजन और ब्लड शुगर पर ध्यान दें।
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में मिठाई या मीठा खाना हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। चाहे त्योहार हों या रोज़ की चाय, मीठे का स्थान हमेशा बना रहता है। इस संदर्भ में गुड़ की एक विशेष पहचान है। इसे आयुर्वेद में अमृत के समान माना जाता है और विज्ञान भी इसके पोषक तत्वों की सराहना करता है।
गुड़ आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स से संपन्न है, जो शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ ब्लड सेल्स और हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, गुड़ वात और कफ को संतुलित करता है और शरीर में गर्मी उत्पन्न कर पाचन शक्ति को बेहतर बनाता है। यह लिवर और हृदय के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना जाता है। इसके अलावा, गुड़ रक्त को शुद्ध करने और शरीर में प्राकृतिक ऊर्जा बनाए रखने में सहायक होता है। इसकी मिठास प्राकृतिक होती है, जिससे यह रिफाइंड शुगर की तुलना में हल्का और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प माना जाता है।
विज्ञान और आयुर्वेद दोनों यह समझाते हैं कि किसी भी चीज़ की अधिकता हानिकारक हो सकती है। गुड़ को सेहतमंद मानकर रोजाना इसकी अधिकता से सेवन करना शरीर के लिए जोखिम भरा हो सकता है। पहले, गुड़ में भी शुगर होती है। 100 ग्राम गुड़ में लगभग 10 से 15 ग्राम फ्रक्टोज मौजूद होता है। इसका अर्थ है कि डायबिटीज या ब्लड शुगर से प्रभावित लोग इसे अधिक मात्रा में सेवन करने से बचें। अधिक गुड़ खाने से रक्त शर्करा और ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ सकते हैं।
गुड़ की गुणवत्ता भी बेहद महत्वपूर्ण है। यदि गुड़ गंदे वातावरण में बनाया गया हो या कच्चे रस को ठीक से छाना न गया हो, तो इसमें बैक्टीरिया और अशुद्धियाँ रह सकती हैं, जिससे पेट में संक्रमण या पाचन समस्या हो सकती है। इसलिए हमेशा विश्वसनीय ब्रांड का गुड़ ही खरीदें और मात्रा पर ध्यान दें।
कुछ लोगों में गुड़ एलर्जी भी उत्पन्न कर सकता है। आयुर्वेद इसे सामान्यतः सुरक्षित मानता है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट दर्द, सिरदर्द, उल्टी या सर्दी-खांसी
वजन पर भी गुड़ का प्रभाव पड़ सकता है। 100 ग्राम गुड़ में लगभग 383 कैलोरी होती है। इसमें उपस्थित ग्लूकोज, फ्रक्टोज और थोड़ी मात्रा में फैट शरीर को ऊर्जा देते हैं, लेकिन अधिक कैलोरी का सेवन वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है, इसलिए स्वास्थ्य के प्रति सचेत लोग भी गुड़ की मात्रा का ध्यान रखें।
पाचन संबंधी समस्याओं के लिए आयुर्वेद में हमेशा संतुलित मात्रा की सिफारिश की गई है। थोड़ी मात्रा में गुड़ पाचन को बढ़ावा देती है, मेटाबॉलिज्म को तेज करती है और इम्यूनिटी को मजबूत बनाती है, लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन शरीर में गर्मी पैदा कर सकता है, जिससे कब्ज, जलन या पेट में असहजता हो सकती है।