क्या भुजंगासन से सेतु बंधासन तक योगासन से पीरियड्स साइकिल में सुधार संभव है?

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क्या भुजंगासन से सेतु बंधासन तक योगासन से पीरियड्स साइकिल में सुधार संभव है?

सारांश

क्या आप जानना चाहती हैं कि योगासन से आपकी पीरियड्स साइकिल में सुधार कैसे हो सकता है? यहां हम भुजंगासन, तितली आसन और सेतु बंधासन के फायदों के बारे में बताएंगे। ये आसन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करते हैं।

Key Takeaways

  • भुजंगासन: पेट और पेल्विक फ्लो को सुधारता है।
  • तितली आसन: पेल्विक मांसपेशियों को रिलैक्स करता है।
  • सेतु बंधासन: थायराइड ग्रंथि को सक्रिय करता है।
  • ये आसन पीरियड्स के दर्द को कम करते हैं।
  • योग मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारता है।

नई दिल्ली, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महिलाओं की स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण पहलू नियमित पीरियड्स साइकिल है। कई बार तनाव, थकान, खराब जीवनशैली और खानपान की गड़बड़ी के कारण पीरियड्स समय पर नहीं आते। यह समस्या केवल शारीरिक नहीं होती, बल्कि मानसिक रूप से भी महिलाओं को काफी परेशान करती है।

ऐसी स्थिति में, कई महिलाएं दवाइयों का सहारा लेती हैं, लेकिन योग के माध्यम से भी इस समस्या से राहत पाई जा सकती है।

आयुष मंत्रालय के अनुसार, योग करने से पेल्विक एरिया सक्रिय होता है, ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, और हार्मोन बैलेंस बना रहता है।

भुजंगासन: इसे अंग्रेजी में कोबरा पोज कहा जाता है। इस आसन में शरीर की मुद्रा कोबरा के समान होती है। इस आसन में शरीर को जमीन पर पेट के बल लेटकर पीछे की ओर उठाया जाता है। इससे पेट और पेल्विक हिस्से पर खिंचाव आता है, जिससे वहां का ब्लड फ्लो बेहतर होता है। हार्मोनल ग्रंथियां सक्रिय होती हैं और पूरे प्रजनन तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। इस आसन से न केवल पीरियड्स साइकिल में सुधार होता है, बल्कि पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द भी कम होता है।

तितली आसन: तितली आसन को संस्कृत में बद्ध कोणासन कहा जाता है। इस आसन को करते वक्त दोनों पैरों के तलवों को मिलाकर बैठा जाता है और घुटनों को ऊपर-नीचे हिलाया जाता है। इस अभ्यास से पेल्विक मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और यूट्रस तक ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। अगर किसी महिला को लंबे समय से पीरियड्स नहीं आए हैं, तो इस आसन से मदद मिल सकती है। यह आसन गर्भाशय की सफाई और ताकत दोनों में असरदार होता है।

सेतु बंधासन: सेतु बंधासन को अंग्रेजी में ब्रिज पोज कहा जाता है। इसमें पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ा जाता है और कमर को ऊपर की ओर उठाया जाता है। यह आसन थायराइड ग्रंथि को भी सक्रिय करता है, जो हार्मोन बैलेंस में अहम भूमिका निभाती है। साथ ही यह शरीर के निचले हिस्से, खासकर पेल्विक रीजन में ब्लड फ्लो को बढ़ाता है। इस आसन को करने से न केवल पीरियड्स नियमित होते हैं, बल्कि ओवरी और यूट्रस भी मजबूत बनते हैं।

Point of View

बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रोत्साहित करता है। इसलिए, महिलाओं को योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए ताकि वे अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकें।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या योगासन से पीरियड्स साइकिल में सुधार संभव है?
हां, योगासन जैसे भुजंगासन, तितली आसन और सेतु बंधासन से पीरियड्स साइकिल में सुधार हो सकता है।
भुजंगासन का क्या महत्व है?
भुजंगासन से पेट और पेल्विक हिस्से में खिंचाव आता है, जिससे ब्लड फ्लो बेहतर होता है और हार्मोनल ग्रंथियां सक्रिय होती हैं।
तितली आसन कैसे मदद करता है?
तितली आसन से पेल्विक मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और यूट्रस तक ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है।
सेतु बंधासन का लाभ क्या है?
सेतु बंधासन से थायराइड ग्रंथि सक्रिय होती है और पेल्विक रीजन में ब्लड फ्लो बढ़ता है।
क्या ये आसन दर्द को कम कर सकते हैं?
हां, ये आसन पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को भी कम करने में सहायक होते हैं।