क्या बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर, अबू धाबी ने 2025 मोनडो-डीआर पुरस्कार जीता?

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क्या बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर, अबू धाबी ने 2025 मोनडो-डीआर पुरस्कार जीता?

सारांश

अबू धाबी के बाप्स स्वामीनारायण मंदिर ने 2025 मोनडो-डीआर पुरस्कार जीता है। यह पुरस्कार उनके अद्वितीय इमर्सिव अनुभव ‘द फेयरी टेल’ के लिए है, जो विश्व स्तर पर सम्मानित किया गया। जानिए इस सफलता की कहानी और इसके पीछे की प्रेरणा।

Key Takeaways

  • बाप्स स्वामीनारायण मंदिर ने 2025 मोनडो-डीआर पुरस्कार जीता।
  • ‘द फेयरी टेल’ एक अद्वितीय इमर्सिव अनुभव है।
  • मंदिर ने धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समावेशन को बढ़ावा दिया।
  • अबू धाबी को सांस्कृतिक एकता का प्रतीक माना जाता है।
  • यह पुरस्कार आध्यात्मिकता और तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक है।

अबू धाबी, ११ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बाप्स स्वामीनारायण मंदिर ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए २०२५ का प्रतिष्ठित मोनडो-डीआर पुरस्कार अपने नाम किया है। यह पुरस्कार उनके अभिनव इमर्सिव अनुभव ‘द फेयरी टेल’ के लिए प्रदान किया गया है, जिसे वैश्विक स्तर पर ऑस्कर के समकक्ष माना जाता है और यह एवी (ऑडियो विजुअल) क्षेत्र का सबसे बड़ा सम्मान है। यह सिर्फ एक पुरस्कार नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक नवाचार, वैश्विक मान्यता और तकनीकी उत्कृष्टता का उत्सव है।

वैश्विक सम्मान और आध्यात्मिक स्थल का गौरव

यह पुरस्कार, जो प्रतिवर्ष प्रख्यात मोनडो-डीआर मैगज़ीन द्वारा दिया जाता है, मनोरंजन, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्थलों में तकनीकी महारत, रचनात्मकता और भावनात्मक प्रभाव के लिए उत्कृष्टता का प्रतीक है। २०२५ में “हाउस ऑफ वर्शिप” श्रेणी में प्रतिस्पर्धा कड़ी थी, जहां विश्व के प्रमुख कैथेड्रल, मस्जिद और सिनागॉग्स ने हिस्सा लिया। लेकिन बाप्स मंदिर ने अपनी अग्रणी भूमिका से इस क्षेत्र में नया मानदंड स्थापित किया।

‘द फेयरी टेल’ – तकनीक और प्रेरणा की अद्भुत यात्रा

‘द फेयरी टेल’ केवल एक शो नहीं, बल्कि एक यात्रा है, जिसमें प्रगतिशील सराउंड साउंड, २० सिंक्रोनाइज्ड प्रोजेक्टर और प्रभावशाली कहानी कहने का समागम है। बाप्स स्वामियों और स्वयंसेवकों की समर्पित टीम ने प्रतिष्ठित एवी सलाहकारों के साथ मिलकर इसे तैयार किया है, जो प्रमुख क्षणों जैसे स्वामी महाराज की शारजाह में प्रार्थना, शेख मोहम्मद बिन जायेद की उदारता और महंत स्वामी महाराजप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भव्य उद्घाटन को जीवंत करता है।

एकता, प्रगति और सम्मान का प्रतीक

मोनडो-डीआर पुरस्कार प्राप्ति ने बाप्स स्वामीनारायण मंदिर को केवल एक आध्यात्मिक और वास्तुकला चमत्कार के रूप में नहीं, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता, सांस्कृतिक समावेशन, और तकनीकी उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में स्थापित किया है। अबू धाबी को विश्व में “हार्मनी का महकुंड” माना जाने लगा है, जहां हर व्यक्ति सार्वभौमिक आध्यात्मिकता का अनुभव कर सकता है। स्वामी ब्रह्मविहारिदास ने कहा, “यह केवल एक शो स्थापित करना नहीं था, बल्कि हर दिल को, चाहे किसी भी पृष्ठभूमि का हो, गहरी आध्यात्मिक अनुभूति से जोड़ना था।”

उत्कृष्टता की विरासत

फरवरी २०२४ में अपने उद्घाटन के बाद से, बाप्स मंदिर ने एमईईडी प्रोजेक्ट पुरस्कार, एमईपी पुरस्कार, और वर्ल्ड आर्किटेक्चर फेस्टिवल सहित कई सम्मान अर्जित किए हैं। यह मोनडो-डीआर पुरस्कार आधुनिक युग में आध्यात्मिक कला और तकनीकी कौशल की शक्तिशाली पुष्टि है जो पूरी दुनिया को बदल सकती है।

Point of View

बाप्स स्वामीनारायण मंदिर की यह उपलब्धि न केवल धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता और तकनीकी नवाचार को भी दर्शाती है। यह पुरस्कार हमें यह याद दिलाता है कि आध्यात्मिकता और प्रगति एक साथ चल सकते हैं।
NationPress
11/10/2025

Frequently Asked Questions

बाप्स स्वामीनारायण मंदिर ने कब मोनडो-डीआर पुरस्कार जीता?
बाप्स स्वामीनारायण मंदिर ने ११ अक्टूबर २०२३ को २०२५ का मोनडो-डीआर पुरस्कार जीता।
‘द फेयरी टेल’ क्या है?
‘द फेयरी टेल’ एक इमर्सिव अनुभव है जिसमें प्रगतिशील सराउंड साउंड और सिंक्रोनाइज्ड प्रोजेक्टर शामिल हैं।
मोनडो-डीआर पुरस्कार का महत्व क्या है?
यह पुरस्कार आध्यात्मिक नवाचार और तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक है और इसे विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
बाप्स स्वामीनारायण मंदिर की विशेषताएं क्या हैं?
यह मंदिर धार्मिक सहिष्णुता, सांस्कृतिक समावेशन और तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक है।
अबू धाबी को ‘हार्मनी का महकुंड’ क्यों कहा जाता है?
यहां विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ मिलकर आध्यात्मिकता का अनुभव कर सकते हैं।