क्या दिल्ली में पुतिन का राष्ट्रपति भवन में भव्य स्वागत हुआ?

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क्या दिल्ली में पुतिन का राष्ट्रपति भवन में भव्य स्वागत हुआ?

सारांश

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत की राजकीय यात्रा के दौरान दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित भव्य भोज में भाग लिया। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत-रूस संबंधों को और मजबूत करना है। आइए जानें इस महत्वपूर्ण मुलाकात के बारे में और क्या खास बातें हुईं।

Key Takeaways

  • भारत-रूस संबंध की 25वीं वर्षगांठ मनाई गई।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित भोज में कई दिग्गज नेता शामिल हुए।
  • दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का आश्वासन दिया गया।
  • येकातेरिनबर्ग और कजान में महावाणिज्य दूतावासों का उद्घाटन किया गया।
  • वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए सहयोग पर जोर दिया गया।

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी दो दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने राजधानी दिल्ली में आयोजित 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लिया। पुतिन का राष्ट्रपति भवन पहुंचने पर औपचारिक स्वागत किया गया। वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा उनके सम्मान में आयोजित भोज में शामिल हुए।

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में रात्रिभोज के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का स्वागत किया। इस रात्रिभोज में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कई दिग्गज नेता उपस्थित रहे।

गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर, रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए 4-5 दिसंबर को भारत की राजकीय यात्रा पर आए।

दोनों देशों के नेताओं ने भारत और रूस के बीच विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की। यह वर्ष भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की 25वीं वर्षगांठ है, जिसे अक्टूबर 2000 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत की पहली राजकीय यात्रा के दौरान स्थापित किया गया था।

दोनों नेताओं ने इस दीर्घकालिक और समय की कसौटी पर सिद्ध संबंध की विशेष प्रकृति पर जोर दिया, जो आपसी विश्वास, एक-दूसरे के मूल राष्ट्रीय हितों के प्रति सम्मान और रणनीतिक संयोजन की विशेषता है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि साझा जिम्मेदारियों वाली प्रमुख शक्तियों के रूप में, यह महत्वपूर्ण संबंध वैश्विक शांति और स्थिरता का आधार बना हुआ है जिसे समान और अविभाज्य सुरक्षा के आधार पर सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

दोनों नेताओं ने बहुआयामी और पारस्परिक रूप से लाभकारी भारत-रूस संबंधों का सकारात्मक मूल्यांकन किया, जो राजनीतिक और रणनीतिक, सैन्य और सुरक्षा, व्यापार और निवेश, ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु, अंतरिक्ष, सांस्कृतिक, शिक्षा और मानवीय सहयोग सहित सहकार के सभी क्षेत्रों में फैले हुए हैं। इस बात पर संतोष व्यक्त किया गया कि दोनों पक्ष पारंपरिक क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करते हुए सहयोग के नए रास्ते सक्रिय रूप से तलाश रहे हैं।

दोनों नेताओं ने जोर देकर कहा कि मौजूदा जटिल, चुनौतीपूर्ण और अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति की पृष्ठभूमि में भारत-रूस संबंध सशक्त बने हुए हैं। दोनों पक्षों ने एक समकालीन, संतुलित, पारस्परिक रूप से लाभप्रद, टिकाऊ और दीर्घकालिक साझेदारी बनाने का प्रयास किया है। भारत-रूस संबंधों के विकास के संपूर्ण परिदृश्य में एक साझा विदेश नीति हमारी प्राथमिकता है। दोनों नेताओं ने रणनीतिक साझेदारी की पूरी क्षमता का लाभ उठाने के लिए सभी प्रयास करने पर सहमति व्यक्त की।

दोनों नेताओं ने येकातेरिनबर्ग और कजान में भारत के दो महावाणिज्य दूतावासों के उद्घाटन का स्वागत किया और अंतर-क्षेत्रीय सहयोग, व्यापार और आर्थिक संबंधों तथा जन-जन के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए उनके शीघ्र कार्यान्वयन की आशा व्यक्त की।

Point of View

यह कहा जा सकता है कि भारत-रूस संबंधों का इतिहास गहरा और महत्वपूर्ण है। वर्तमान में ये संबंध न केवल द्विपक्षीय सहयोग को दर्शाते हैं, बल्कि वैश्विक स्थिरता में भी योगदान कर रहे हैं। ऐसे समय में जब विश्व की भू-राजनीतिक स्थिति चुनौतीपूर्ण है, ऐसे उच्चस्तरीय संवाद आवश्यक हैं।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

पुतिन की भारत यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या था?
पुतिन की यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत-रूस संबंधों को और मजबूत करना था।
इस यात्रा में कौन-कौन से नेता शामिल थे?
इस यात्रा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल थे।
भारत और रूस के बीच कितनी पुरानी साझेदारी है?
भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की 25वीं वर्षगांठ है।
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