क्या डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करेंगे?: बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता

सारांश
Key Takeaways
- डोनाल्ड ट्रंप से पाकिस्तान के संबंधों पर पुनर्विचार करने का आग्रह।
- बलूचिस्तान की मान्यता और समर्थन की मांग।
- पाकिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन।
- कट्टरपंथी तत्वों का खतरा।
- अमेरिका से न्याय की अपेक्षा।
क्वेटा, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। हाल के दिनों में अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ अपनी नजदीकियों को बढ़ाया है। प्रमुख बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने डोनाल्ड ट्रंप को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे पाकिस्तान जैसे कट्टरपंथी राष्ट्र के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करें।
उन्होंने राष्ट्रपति से बलूचिस्तान को मान्यता और समर्थन देने का अनुरोध किया है।
अपने पत्र में मीर यार बलूच ने लिखा, "हम जनरल असीम मुनीर की आगामी अमेरिका यात्रा पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। मुनीर उस संस्था का नेतृत्व करते हैं जो पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है। पाकिस्तानी सेना और इसकी आईएसआई ने न केवल 40,000 से अधिक बलूच नागरिकों को गायब किया है, बल्कि वैश्विक आतंकवादियों को भी पनाह दी है।"
पत्र में आगे लिखा गया है, "हम आपसे निवेदन करते हैं कि जनरल मुनीर से यह पूछें कि पाकिस्तान किस कानूनी या नैतिक आधार पर बलूचिस्तान की प्राकृतिक संपदा पर दावा करता है? क्या वह पंजाब प्रांत में किसी भंडार पर अपना दावा कर सकता है?"
मीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए लिखा, "बलूचिस्तान एक प्राचीन संप्रभु राष्ट्र है, जो पाकिस्तान और ईरान के अवैध कब्जे में है। इसके पास दुर्लभ खनिज, तेल, गैस और रणनीतिक भूगोल है, इसके बावजूद यह दमनकारी शासन के अंतर्गत पीड़ित है। हमारी धर्मनिरपेक्ष और शांतिपूर्ण परंपराओं को दबाया जा रहा है।"
उन्होंने कहा, "9/11 के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान पर भरोसा किया, जो एक बड़ी गलती थी। पाकिस्तान ने हमेशा दोहरा खेल खेला है। बलूच, सिंधी और पश्तून जैसे धर्मनिरपेक्ष समूहों को मजबूत करने के बजाय, पूर्व की अमेरिकी सरकार ने पाकिस्तानी सेना का समर्थन किया है।"
मीर बलूच ने पत्र में यह भी पूछा है कि क्या अमेरिका एक ऐसे सरकारी तंत्र को समर्थन देना जारी रखेगा जो "अमेरिका इजरायल मुर्दाबाद" के नारे लगवाता है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता ने ट्रंप प्रशासन से निर्वासित स्वतंत्रता-समर्थक बलूच नेतृत्व और प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू करने का अनुरोध किया है। उन्होंने पत्र के अंत में अमेरिका से न्याय के लिए ध्यान देने की उम्मीद जताई है।