क्या नेपाल ने रूबेला को जन स्वास्थ्य समस्या से मुक्त कर दिया है, डब्ल्यूएचओ की घोषणा?

सारांश
Key Takeaways
- नेपाल ने रूबेला को जन स्वास्थ्य समस्या से समाप्त किया।
- डब्ल्यूएचओ ने इसे एक बड़ी उपलब्धि माना है।
- टीकाकरण कार्यक्रमों में निरंतर प्रयासों ने इस सफलता में योगदान दिया है।
- नेपाल अब दक्षिण-पूर्व एशिया में रूबेला उन्मूलन वाला छठा देश बन गया है।
- स्वास्थ्य कर्मियों और समुदायों का सहयोग इस सफलता का मुख्य आधार है।
काठमांडू, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यह घोषणा की है कि नेपाल ने रूबेला (जर्मन खसरा) को पूर्ण रूप से एक जन स्वास्थ्य समस्या से मुक्त कर दिया है। यह नेपाल के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो अपने नागरिकों को वैक्सीनेशन से बचने योग्य बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
रूबेला एक संक्रामक वायरल रोग है, जो विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यंत खतरनाक होता है। यह गर्भपात, मृत जन्म या नवजात शिशुओं में गंभीर जन्मजात दोषों का कारण बन सकता है। लेकिन, इसे सुरक्षित और प्रभावी टीकों के माध्यम से रोका जा सकता है। डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया प्रमुख डॉ. कैथरीना बोहेम ने कहा, "नेपाल की यह उपलब्धि सरकार, स्वास्थ्य कर्मचारियों, स्वयंसेवकों और जागरूक समुदायों के अथक प्रयासों का परिणाम है। यह शिशुओं के लिए एक स्वस्थ भविष्य और रूबेला-मुक्त नेपाल का प्रतीक है।"
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय सत्यापन समिति ने 22-24 जुलाई 2025 को अपनी बैठक में नेपाल की राष्ट्रीय सत्यापन समिति द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों की समीक्षा की। इसमें रूबेला निगरानी और टीकाकरण कवरेज की जानकारी शामिल थी। समिति ने पुष्टि की कि नेपाल ने रूबेला उन्मूलन के मानकों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। नेपाल, डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में रूबेला उन्मूलन के लिए छठा देश बन गया है। इससे पहले, भूटान, डीपीआर कोरिया, मालदीव, श्रीलंका और तिमोर-लेस्ते ने यह उपलब्धि प्राप्त की थी।
नेपाल के स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्री प्रदीप पौडेल ने कहा, "रूबेला उन्मूलन हमारी राष्ट्रीय टीकाकरण नीति की मजबूती का प्रमाण है। यह उपलब्धि स्वास्थ्य कर्मियों, स्वयंसेवकों और समुदायों के सहयोग के बिना संभव नहीं थी। मैं डब्ल्यूएचओ जैसे साझेदारों का आभार व्यक्त करता हूं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी बच्चा टीके से रोकी जा सकने वाली बीमारी का शिकार न हो।"
नेपाल ने 2012 में अपने टीकाकरण कार्यक्रम में रूबेला-युक्त टीके को शामिल किया था। उसी वर्ष 9 महीने से 15 वर्ष के बच्चों के लिए एक राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान प्रारंभ हुआ। 2016 में दूसरी खुराक को नियमित टीकाकरण में जोड़ा गया। 2012, 2016, 2020 और 2024 में चार राष्ट्रीय अभियानों ने, कोविड-19 महामारी और भूकंप जैसी चुनौतियों के बावजूद, टीकाकरण की पहुंच बढ़ाई। 2024 तक नेपाल ने 95 प्रतिशत से अधिक बच्चों को रूबेला टीके की कम से कम एक खुराक देने में सफलता प्राप्त की।
‘टीकाकरण माह,’ छूटे हुए बच्चों का टीकाकरण और जिलों को ‘पूर्णतः प्रतिरक्षित’ घोषित करने की रणनीतियों ने इस प्रयास को गति दी। इसके अलावा, नेपाल ने हाल ही में एक मजबूत प्रयोगशाला परीक्षण प्रणाली शुरू की, जो डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में पहली बार लागू की गई।
नेपाल में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डॉ. राजेश संभाजीराव पांडव ने कहा, "यह उपलब्धि सरकार, स्वास्थ्य कर्मियों और समुदायों के सहयोग का परिणाम है। डब्ल्यूएचओ नेपाल को इस सफलता को बनाए रखने में पूरा समर्थन देगा।"