क्या दुनिया को युद्ध के बजाय शांति की आवश्यकता नहीं है? इतिहास से क्या सीखना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- युद्ध से तबाही होती है।
- मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है।
- शांति की आवश्यकता है।
- इतिहास से सबक लेना चाहिए।
- विकास की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
बीजिंग, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। युद्ध कभी किसी समस्या का समाधान नहीं करते, बल्कि केवल तबाही का मंजर उत्पन्न करते हैं। इसके बावजूद, कुछ देश दूसरों की प्रभुसत्ता और अखंडता को कमजोर करने के प्रयास में लगे रहते हैं। हाल के दशकों में हुए संघर्षों या ऐतिहासिक लड़ाइयों को देखें, तो युद्ध और संघर्ष ने आम नागरिकों का जीवन तबाह कर दिया और उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन किया। बच्चों और महिलाओं को युद्ध की जटिलताओं का सबसे अधिक सामना करना पड़ा। आज, मानवाधिकारों की रक्षा का दावा करने वाले देशों को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि उन्होंने क्या नुकसान पहुंचाया है और कैसे उन्होंने नागरिकों को बेघर किया है।
अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और यूरोपीय देशों का अतीत बेदाग नहीं है, फिर भी वे आज दूसरों को सम्मान देने की सलाह दे रहे हैं। वहीं, चीन और भारत जैसे देशों ने भी विदेशी आक्रमणों का सामना किया है। अंग्रेजों ने भारत को 200 साल तक गुलाम रखा, जबकि जापान ने चीन में नानचिंग नरसंहार किया। लेकिन फासीवाद और जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध में चीन की विजय ने एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया। इस समय, चीन इस ऐतिहासिक जीत की 80वीं वर्षगांठ मना रहा है। 3 सितंबर को पेइचिंग में भव्य सैन्य परेड का आयोजन होगा, जहाँ इतिहास के महत्वपूर्ण क्षणों को याद किया जाएगा। यह चीनी जनता के लिए विशेष अवसर है, क्योंकि उन्होंने 80 साल पहले जापान के आतंक का अंत किया था।
हाल के वर्षों में कई देश संघर्षों में उलझे हुए हैं, चाहे वह यूक्रेन-रूस का विवाद हो या अर्मेनिया और अजरबेजान के बीच लड़ाई। इजराइल-फिलीस्तीन और इजरायल-ईरान के संघर्षों ने हमें सोचने पर मजबूर किया है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। शांति का दावा करने वाले राष्ट्र अक्सर दूसरे देशों पर आक्रमण करने के लिए तत्पर रहते हैं। इस स्थिति में, हमें इतिहास से सबक लेना चाहिए और शांति स्थापित करने के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि जापान द्वारा शुरू किए गए युद्ध ने विनाशकारी प्रभाव डाला। उनके अनुसार, द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत 1939 में हुई, लेकिन जापान का चीन के खिलाफ आक्रमण वास्तव में युद्ध की शुरुआत थी। जापान को हार का सामना करना पड़ा, जो चीनी जनता और सैनिकों के साहस का परिणाम था। जापान ने जो अत्याचार किए, उनकी एक लंबी सूची है, और चीन के बार-बार अनुरोध के बावजूद, जापान ने अपने इतिहास को ठीक से स्वीकार नहीं किया है।
फासीवाद और जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध की विजय की 80वीं वर्षगांठ पर हमें दुनिया में अमन-चैन स्थापित करने की कसम खानी चाहिए। साथ ही, हमें विश्व को युद्ध की ओर धकेलने के बजाय प्रगति और विकास की दिशा में ले जाना चाहिए। यही असली विकास है और यही सच्ची मानवता है।
(अनिल आज़ाद पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)