क्या चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाना उचित है?: भीम सिंह चंद्रवंशी

सारांश
Key Takeaways
- भीम सिंह चंद्रवंशी ने राहुल गांधी के आरोपों को निंदनीय बताया।
- संवैधानिक संस्थाओं पर हमले से राष्ट्र का विश्वास कमजोर होता है।
- एसआईआर प्रक्रिया को सही ठहराया गया है।
- हिंदू धर्म की संस्कृति को उदारता पर आधारित बताया गया।
नई दिल्ली, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के राज्यसभा सांसद भीम सिंह चंद्रवंशी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए गए सवालों को दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं पर हमला जनता के विश्वास को कमजोर करने का काम करता है, जो कि राष्ट्र के खिलाफ है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं और एक प्रमुख राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेता हैं। यदि वह भारत के चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर हमला करते रहेंगे, तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। संवैधानिक संस्थाओं में जनता के विश्वास को कम करना एक तरह से राष्ट्र के खिलाफ कृत्य है।
उन्होंने कहा कि जनतंत्र पर यदि जनता का विश्वास नहीं रहेगा तो देश कैसे बचेगा? राहुल गांधी बेवजह की बातें करते हैं। बिहार में एसआईआर का ड्राफ्ट आ गया है। 65 लाख लोग गलत मतदाता पाए गए; इसके आधार पर अगर चुनाव में वोट डाले जाते तो क्या यह लोकतंत्र के लिए अच्छी बात होती? सांसद ने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया बिल्कुल सही है। यदि किसी को शिकायत है तो दावा आपत्ति दर्ज कराने का एक महीने का समय है।
उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता सूची के मसौदे को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत एक सकारात्मक कदम बताया। यह अभियान मतदाता सूची को सुधारने के लिए है, जिसमें मृतक, पलायन कर चुके, या एक से अधिक स्थानों पर दर्ज मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं। साथ ही, सभी वास्तविक और वैध मतदाताओं के नाम सूची में शामिल किए गए हैं।
मालेगांव ब्लास्ट मामले में उन्होंने कहा कि सच सामने आ गया है और अभियुक्त बरी हो गए। उन्होंने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और हिंदू समाज का अपमान करने का आरोप लगाया। चंद्रवंशी ने भगवा आतंकवाद के नैरेटिव को कांग्रेस की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के कारण जनतंत्र कायम है और हिंदू धर्म व संस्कृति उदारता पर आधारित है, जो हिंसा या तलवार के बल पर नहीं, बल्कि संस्कृति और धर्म के आधार पर फैली है।