क्या बीजापुर में माओवाद को बड़ा झटका लगा? 41 कैडरों ने छोड़ी बंदूक और मुख्यधारा में लौटे
सारांश
Key Takeaways
- 41 माओवादी कैडरों ने आत्मसमर्पण किया।
- छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति की सफलता।
- स्थानीय सहयोग ने माओवादी गतिविधियों में कमी लाई।
- आत्मसमर्पण करने वालों को प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
बीजापुर, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में बुधवार को माओवादियों को एक सख्त झटका लगा। कुल 41 माओवादी कैडरों ने अपने हथियार डाले और समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। इन पर कुल 1 करोड़ 19 लाख रुपये का इनाम था। इनमें 12 महिलाएं और 29 पुरुष शामिल हैं।
आत्मसमर्पण करने वालों में कई प्रमुख नाम हैं। इनमें पीएलजीए बटालियन-1 के 5 सदस्य, 3 एरिया कमेटी मेंबर, कई प्लाटून कमांडर, मिलिशिया कमांडर और जनताना सरकार के पदाधिकारी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश (39) दक्षिण सब-जोनल ब्यूरो के हैं, जबकि कुछ तेलंगाना स्टेट कमेटी और धमतरी-गरियाबंद-नुआपाड़ डिवीजन से भी हैं।
सबसे बड़े इनामी कैडरों में पति-पत्नी पण्डरू हपका उर्फ मोहन और बण्डी हपका शामिल हैं, दोनों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था। इसी तरह लक्खू कोरसा, बदरू पुनेम, सुखराम हेमला और मंजूला हेमला जैसे प्रमुख कैडर भी सरेंडर करने वालों में हैं।
पुलिस के अनुसार, यह सफलता छत्तीसगढ़ सरकार की “पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन” नीति और “नियद नेल्ला नार” योजना का परिणाम है। सुरक्षा बलों का लगातार दबाव, स्थानीय लोगों का सहयोग और परिवार वालों की अपील ने इन कैडरों को हथियार छोड़ने के लिए प्रेरित किया।
आत्मसमर्पण करने वालों ने भारतीय संविधान में पूर्ण विश्वास जताया और लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया। सरकार की नीति के तहत प्रत्येक सरेंडर करने वाले को तुरंत 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके बाद पुनर्वास की कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी।
बीजापुर के पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि इस वर्ष (1 जनवरी 2025 से अब तक) जिले में 560 माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं, 528 गिरफ्तार हुए और 144 विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए हैं। वर्ष 2024 के आंकड़े और भी चौंकाने वाले हैं, 790 सरेंडर, 1031 गिरफ्तारियां और 202 माओवादी मारे गए हैं।
आत्मसमर्पण करने वालों ने डीआईजी केरिपु सेक्टर बी.एस. नेगी, एसपी डॉ. जितेंद्र यादव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के सामने अपने हथियार डाले। डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, एसटीएफ और कोबरा की कई बटालियनों ने इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एसपी डॉ. यादव ने अन्य माओवादियों से अपील की, “आपके परिजन और गांव वाले चाहते हैं कि आप सामान्य जीवन जियें। हिंसा का रास्ता छोड़ दें। सरकार की पुनर्वास नीति आपके और आपके परिवार के भविष्य को सुरक्षित बनाएगी।”
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. ने इसे शांति और विकास की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उनका कहना है कि दक्षिण बस्तर में अब हिंसा की जगह संवाद और विकास की नई कहानी लिखी जा रही है।