क्या इंदौर का धन्वंतरि मंदिर धनतेरस पर चिकित्सकों को दवाओं को सिद्ध कराने का अवसर प्रदान करता है?

सारांश
Key Takeaways
- धनतेरस पर चिकित्सक दवाओं को सिद्ध कराने के लिए आते हैं।
- इंदौर का धन्वंतरि मंदिर 200 साल पुराना है।
- भक्त यहाँ औषधियाँ अर्पित कर स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
- धन्वंतरि भगवान को स्वास्थ्य का देवता माना जाता है।
- मंदिर का निर्माण होल्कर शासकों ने किया था।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के विभिन्न मंदिरों से जुड़े चमत्कारी किस्सों की कोई कमी नहीं है। जब लोग बीमारी से राहत पाने के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं, तब आस्था और भगवान पर अटूट विश्वास के चलते उनका आशीर्वाद लेना भी उतना ही आवश्यक माना जाता है।
इंदौर में 'जीवनदाता' कहे जाने वाले भगवान धन्वंतरि से आशीर्वाद लेने के लिए चिकित्सक आते हैं और अपनी दवाओं को भी सिद्ध कराते हैं।
इंदौर के आड़ा बाजार में स्थित धन्वंतरि मंदिर की स्थापना 200 साल से अधिक समय पहले हुई थी। यहाँ पर आकर भक्त भगवान को दवाई अर्पित करते हैं और उसका सेवन करने से रोगों से मुक्ति की प्राप्ति होती है। इस कारण भक्त दूर-दूर से मंदिर में दर्शन करने आते हैं और औषधियाँ लेकर आते हैं। धनतेरस के दिन यहाँ विशेष पूजा अर्चना होती है और मंदिर के द्वार सुबह 7 बजे खोल दिए जाते हैं।
स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि के मंदिर में केवल आम लोग ही नहीं, बल्कि डॉक्टर भी धनतेरस पर दर्शन के लिए आते हैं। एलोपैथिक और होम्योपैथिक चिकित्सक गंभीर बीमारियों की दवा लेकर मंदिर पहुँचते हैं और इसे भगवान के चरणों में अर्पित करते हैं। चिकित्सकों का मानना है कि इससे दवाएँ सिद्ध हो जाती हैं और इनका प्रभाव मरीजों पर जल्दी दिखने लगता है। उनका विश्वास है कि भगवान धन्वंतरि स्वयं दवाओं के माध्यम से मरीजों को स्वस्थ करते हैं।
इस मंदिर का निर्माण इंदौर के होल्कर शासकों ने किया था। एक कथा के अनुसार, होलकर रियासत को रोग और महामारी से बचाने के लिए वहाँ के राजवेद इसी मंदिर में पूजा अर्चना करते थे और औषधियों से जटिल बीमारियों का इलाज करते थे। होलकर रियासत के शासक भी मंदिर में इलाज कराने आए थे और स्वस्थ होकर लौटे थे। राजवेद के सफल उपचार के कारण भक्तों में इस मंदिर के प्रति विश्वास अटूट है। तभी से भक्त और डॉक्टर धनतेरस के अवसर पर मंदिर पहुँच कर भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।