क्या ईरान-इजरायल तनाव में अमेरिका की एंट्री महबूबा मुफ्ती को ओआईसी और पाकिस्तान पर निशाना साधने पर मजबूर कर रही है?

सारांश
Key Takeaways
- ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ रहा है।
- अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं।
- महबूबा मुफ्ती ने इस हमले की निंदा की है।
- ओआईसी की प्रतिक्रिया को दिखावटी बताया गया है।
- भारत सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए गए हैं।
जम्मू, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। ईरान और इजरायल के बीच का तनाव अब वैश्विक स्तर पर एक नया मोड़ ले चुका है। अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और एस्फाहान पर हवाई हमले किए हैं और राष्ट्रपति ट्रंप ने इन्हें पूरी तरह से नष्ट करने का दावा किया है। इस हमले के परिणामस्वरूप भारत में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। महबूबा मुफ्ती ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी और विशेष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधा, साथ ही भारत सरकार की चुप्पी को भी 'अफसोसनाक' बताया है।
महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, "जैसी उम्मीद थी, ईरान पर हमले के बाद ओआईसी ने एक बार फिर अपनी प्रतिक्रिया को केवल दिखावटी सेवा तक सीमित रखा है। इस बीच, जिस देश ने डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सिफारिश करने में जल्दबाजी दिखाई थी, वह अब ईरान पर हमले के बाद खुद को शर्मसार पाता है।"
महबूबा मुफ्ती का इशारा स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की ओर था। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने हाल ही में व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात की थी। इस दौरान हुई बातचीत के बाद मुनीर ने ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की सिफारिश की थी। हालांकि, अमेरिका के इस ताजा हमले के बाद पाकिस्तान की यह सिफारिश अब विवादों के घेरे में आ गई है।
महबूबा मुफ्ती ने आगे लिखा, "ईरान पर यह हमला करके ट्रंप ने तनाव को खतरनाक रूप से बढ़ा दिया है, जिससे क्षेत्र में हिंसा की एक नई लहर शुरू हो गई है। यह दुनिया को वैश्विक संघर्ष के कगार पर ले जा रहा है।"
महबूबा मुफ्ती ने भारत सरकार की प्रतिक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "अफसोस की बात है कि भारत को लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मामलों में ऐतिहासिक और सैद्धांतिक भूमिका निभाने वाले देश के रूप में देखा जाता है, लेकिन वह न केवल चुप है, बल्कि हमलावर के साथ खड़ा होता दिख रहा है।"