क्या झारखंड में चाईबासा में डीजीपी के समक्ष १० नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया?

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क्या झारखंड में चाईबासा में डीजीपी के समक्ष १० नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया?

सारांश

झारखंड के चाईबासा में पुलिस की कार्रवाई का असर दिखा है, जहां १० नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। यह घटना नक्सल विरोधी अभियान की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जानिए आत्मसमर्पण की पूरी कहानी और सरकार की पुनर्वास नीति के बारे में।

Key Takeaways

  • चाईबासा में १० नक्सलियों का आत्मसमर्पण एक महत्वपूर्ण घटना है।
  • सरकार की पुनर्वास नीति ने आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित किया।
  • डीजीपी ने मजबूत कार्रवाई की चेतावनी दी।

रांची, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में नक्सल विरोधी अभियान ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) जिले में सक्रिय भाकपा माओवादी संगठन के १० नक्सलियों ने गुरुवार को पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता और अन्य अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

आत्मसमर्पण करने वालों में छह पुरुष और चार महिलाएं शामिल हैं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, ये सभी एक करोड़ रुपए के इनामी नक्सली मिसिर बेसरा उर्फ सागर और पतिराम मांझी उर्फ अनल के दस्ते से जुड़े थे।

सरेंडर करने वाले नक्सलियों में रांदो बोर्डपाई, गार्दी कोड़ा, जोहन पूर्ति, निरसो सीदु, घोनोर देवगम, गौमेया कोड़ा, केरा कोड़ा, कैरी कायम, सावित्री गोप और प्रदीप सिंह शामिल हैं।

चाईबासा स्थित पुलिस लाइन में आयोजित समारोह में सभी नक्सलियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया। इसे सरकार की पुनर्वास नीति और पुलिस की लगातार कार्रवाई का परिणाम माना जा रहा है।

डीजीपी अनुराग गुप्ता ने सरेंडर करने वाले नक्सलियों का स्वागत करते हुए कहा कि झारखंड की आत्मसमर्पण नीति देश की सर्वश्रेष्ठ नीतियों में से एक है।

उन्होंने कहा, "जो नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे, उन्हें नई जिंदगी का अवसर मिलेगा, लेकिन जो हथियार उठाए रखेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"

डीजीपी ने स्पष्ट किया कि पुलिस के पास नक्सलियों की गतिविधियों का पूरा डेटा है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।

आत्मसमर्पण कार्यक्रम में सीआरपीएफ के आईजी साकेत सिंह, आईजी अभियान माइकल एस. राज, आईजी एसटीएफ अनूप बिरथरे, डीआईजी कोल्हान अनुरंजन किसफोट्टा और चाईबासा एसपी अमित रेणु सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।

इससे पहले एक सितंबर को लातेहार जिले में प्रतिबंधित संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) के नौ उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया था। आत्मसमर्पण करने वालों में चार ऐसे उग्रवादी शामिल थे, जिन पर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम घोषित था। एक पर तीन लाख रुपए का इनाम था, जबकि चार अन्य कई नक्सली वारदातों में वांटेड थे। उस मौके पर उग्रवादियों ने पांच एके-47 राइफल सहित बड़ी संख्या में हथियार और कारतूस पुलिस को सौंपे थे।

अधिकारियों का कहना है कि मार्च २०२६ तक झारखंड को पूरी तरह नक्सलमुक्त बनाने के लिए अभियान तेज किया गया है। इस वर्ष अब तक ३१ नक्सली विभिन्न मुठभेड़ों में मारे जा चुके हैं।

Point of View

बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार की पुनर्वास नीति कितनी प्रभावी हो रही है। यह कदम नक्सलवादी गतिविधियों पर काबू पाने के लिए सकारात्मक संकेत है।
NationPress
25/09/2025

Frequently Asked Questions

नक्सलियों का आत्मसमर्पण क्यों हुआ?
नक्सलियों का आत्मसमर्पण सरकार की पुनर्वास नीति और पुलिस की लगातार कार्रवाई का परिणाम है।
सरकार की पुनर्वास नीति क्या है?
सरकार की पुनर्वास नीति आत्मसमर्पण करने वालों को नई जिंदगी और विकास के अवसर प्रदान करती है।
डीजीपी ने आत्मसमर्पण के बारे में क्या कहा?
डीजीपी ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों को नई जिंदगी का अवसर मिलेगा।