क्या जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को भारत के 53वें सीजेआई के तौर पर शपथ लेंगे?
सारांश
Key Takeaways
- जस्टिस सूर्यकांत का शपथ ग्रहण भारत के न्यायिक इतिहास में महत्वपूर्ण है।
- लंबित मामलों की संख्या को कम करना उनकी प्राथमिकता होगी।
- उन्होंने न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए कई योजनाएँ बनाई हैं।
- उनका कार्यकाल 14 महीने का होगा।
- राष्ट्रपति ने उनकी नियुक्ति पर मुहर लगाई है।
नई दिल्ली, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को भारत के 53वें चीफ जस्टिस (सीजेआई) के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं। यह 14 महीने के कार्यकाल की शुरुआत होगी, जिसमें वह देश की सबसे ऊंची न्यायिक पदवी का कार्यभार संभालेंगे।
उन्हें शपथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दिलाएंगी। जस्टिस सूर्यकांत, वर्तमान सीजेआई भूषण आर गवई की जगह लेंगे, जिनकी सेवानिवृत्ति के बाद यह पद भर जाएगा। राष्ट्रपति ने संविधान के आर्टिकल 124 के क्लॉज (2) के तहत जस्टिस सूर्यकांत को नियुक्त किया है।
जस्टिस गवई, जिन्होंने रविवार को 65 वर्ष की आयु में पद छोड़ दिया, ने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज के रूप में परंपरा का पालन किया।
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने 1984 में हिसार से कानून की पढ़ाई शुरू की और बाद में चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की।
उन्होंने संवैधानिक, सेवा और सिविल मामलों में कई महत्वपूर्ण मामलों को संभाला, जिसमें विश्वविद्यालय, बोर्ड, कॉर्पोरेशन और बैंक शामिल हैं।
जुलाई 2000 में, उन्हें हरियाणा का सबसे युवा एडवोकेट जनरल बनाया गया। इसके बाद, 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला और 9 जनवरी 2004 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का स्थायी जज बनाया गया।
बाद में, उन्होंने अक्टूबर 2018 से 24 मई 2019 तक हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्य किया। वर्तमान में, वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन हैं।
शनिवार को चार्ज लेने से पहले, जस्टिस सूर्यकांत ने मीडिया से कहा कि सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करना उनकी प्राथमिकता होगी।
उन्होंने बताया कि उनका पहला कदम सभी हाई कोर्ट के साथ मिलकर जिला और अधीनस्थ अदालतों की समस्याओं की पहचान करना होगा।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के लिए अगले कुछ हफ्तों में पाँच, सात और नौ जजों की संविधान बेंच बनाई जाएंगी।
नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) के अनुसार, भारतीय अदालतों में वर्तमान में 5.29 करोड़ मामले लंबित हैं, जिनमें 4.65 करोड़ मामले जिला और निचली अदालतों में और 63.30 लाख मामले हाई कोर्ट में लंबित हैं।