काल भैरव को काशी का कोतवाल क्यों कहते हैं?

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काल भैरव को काशी का कोतवाल क्यों कहते हैं?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि काशी के कोतवाल काल भैरव की पूजा क्यों की जाती है? इस लेख में जानिए उनके इतिहास, महत्व और काशी में उनकी भूमिका के बारे में।

Key Takeaways

  • काल भैरव
  • उनकी पूजा में खास सामग्री का महत्व है।
  • हर भक्त को उनके दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है।
  • काशी में उनके प्रति असीम श्रद्धा है।
  • भक्तों की समस्याओं का समाधान काल भैरव के दर्शन से होता है।

वाराणसी, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। "वाराणस्यां भैरवो देवो, संसार भयनाशनम्। अनेक जन्म कृतं पापम्, दर्शनेन विनश्यति।" बाबा श्री काशी विश्वनाथ की पवित्र नगरी काशी में कोतवाल की आसन पर काल भैरव विराजमान हैं। धार्मिक विश्वासों के अनुसार, नगरी में कौन आया, कौन गया और वहाँ पर क्या हो रहा है, इसका हर लेखा-जोखा बाबा के रजिस्टर में दर्ज होता है।

काशी के कोतवाल (रक्षक) के रूप में काल भैरव की पूजा की जाती है, जिन्हें भगवान शिव का उग्र रूप माना जाता है। लेकिन, आखिर क्यों उन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है? इस मान्यता का उल्लेख पौराणिक कथाओं में मिलता है। स्कंद पुराण में भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव का वर्णन है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, काल भैरव का जन्म तब हुआ जब भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच खुद को दूसरे से बेहतर बताने को लेकर विवाद हुआ। क्रोधित होकर काल भैरव ने ब्रह्म देव के सिर को काट दिया, जिससे उन पर ब्रह्महत्या का दोष लग गया। इसके बाद वह काशी पहुंचे, जहाँ गंगा में स्नान करने से ब्रह्मा का सिर उनके हाथ से अलग हो गया। यह स्थान 'कपाल मोचन तीर्थ' के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

इसके उपरांत भगवान बाबा विश्वनाथ ने काल भैरव को काशी का रक्षक (कोतवाल) नियुक्त किया, जिससे उन्हें 'काशी का कोतवाल' कहा जाने लगा।

काल भैरव को कोतवाल इसलिए भी माना जाता है क्योंकि वे काशी में कानून-व्यवस्था बनाए रखते हैं। मान्यता है कि बिना उनकी अनुमति के कोई भी काशी में प्रवेश या निवास नहीं कर सकता। वे पापियों को दंड देते हैं और भक्तों की रक्षा करते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर की यात्रा भी तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक भक्त काल भैरव के दर्शन न कर लें।

काशी के ज्योतिषाचार्य और पंडित राजेंद्र पाण्डेय के अनुसार, “धार्मिक मान्यता है कि काशी विश्वनाथ के दर्शन की अनुमति लेने के लिए पहले काशी के कोतवाल यानी काल भैरव का दर्शन करना चाहिए। उनके दर्शन से कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है। कोर्ट-कचहरी, रोग-व्याधि या किसी भी समस्या में बाबा की भक्ति से राहत मिलती है।”

हर साल भैरव अष्टमी और महाशिवरात्रि पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा, हर रविवार और मंगलवार को भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। काशीवासियों के लिए वे न केवल रक्षक हैं, बल्कि पापों को नष्ट करने वाले देवता भी हैं। बुरे कर्मों का हिसाब भी लगाते हैं।

काशी के कोतवाल को सरसों का तेल, उड़द से बना वड़ा, नीले रंग की माला, और काला वस्त्र प्रिय है, जो श्रद्धालु उनके लिए लेकर आते हैं। वहीं, मंदिर के पास ढेरों श्वान रहते हैं, जो काल भैरव के सवारी हैं। दर्शन-पूजन के बाद श्रद्धालु इन्हें बर्फी, दूध, रबड़ी और बिस्किट समेत अन्य चीजें खिलाते हैं। मान्यता है इससे बाबा प्रसन्न होते हैं और कृपा करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हों या फिल्मी हस्तियां, वे बाबा विश्वनाथ के मंदिर पहुंचने से पहले काशी के कोतवाल के दरबार में अवश्य जाते हैं।

Point of View

बल्कि काशीवासियों के जीवन में उनका स्थान अद्वितीय है। उनका रक्षक स्वरूप और पापियों के प्रति कठोरता, इन्हें काशी का एक महत्वपूर्ण भाग बनाती है।
NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

काल भैरव को काशी का कोतवाल क्यों कहा जाता है?
काल भैरव का रक्षक रूप काशी के कानून-व्यवस्था को बनाए रखता है, यही कारण है कि उन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है।
काल भैरव की पूजा कैसे की जाती है?
उनकी पूजा में सरसों का तेल, उड़द से बना वड़ा, नीले रंग की माला और काला वस्त्र शामिल होता है।
क्या काल भैरव के दर्शन से समस्याओं का हल होता है?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, काल भैरव के दर्शन से कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
कौन-कौन से दिन काल भैरव की पूजा की जाती है?
हर साल भैरव अष्टमी, महाशिवरात्रि, और हर रविवार एवं मंगलवार को उनकी विशेष पूजा होती है।
क्या काल भैरव के लिए कुछ खास सामग्री लाना जरूरी है?
हाँ, श्रद्धालु उनके लिए सरसों का तेल, उड़द वड़ा, और अन्य सामग्री लेकर आते हैं।