क्या आप जानते हैं मार्कण्डेश्वर मंदिर, जहां भगवान शिव ने भक्त की रक्षा की?

सारांश
Key Takeaways
- मार्कण्डेश्वर मंदिर पुरी का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
- यहां भगवान शिव ने भक्त मार्कंडेय की रक्षा की थी।
- मार्कंडेय सरोवर धार्मिक कर्मकांडों का स्थान है।
- महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों पर यहां विशेष उत्सव मनाए जाते हैं।
- 12वीं शताब्दी में इसका निर्माण हुआ था।
पुरी, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सावन के इस पवित्र महीने में भक्तगण भगवान शिव की भक्ति में लीन हैं। देशभर के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी में स्थित मार्कण्डेश्वर महादेव का मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी विशेष है, जहां भगवान शिव ने अपने भक्त मार्कंडेय को समुद्र के कोप से बचाया था।
पुरी, जो कि हिंदुओं के चार धामों में से एक है, अपने राजसी इतिहास और तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व की विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
मार्कण्डेश्वर मंदिर पुरी के पांच प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है और यह शिव पूजा के 52 पवित्र स्थलों में शामिल है। मंदिर का प्रवेश द्वार दस भुजाओं वाले नटराज की भव्य मूर्ति से सजा हुआ है। मंदिर के निचले हिस्से में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की छोटी-छोटी मूर्तियां जटिल नक्काशी के साथ स्थित हैं। मंदिर के कोनों में शिव के विभिन्न अवतारों के छोटे मंदिर भी मौजूद हैं।
इसके अतिरिक्त, मंदिर के पास स्थित मार्कंडेय सरोवर को पुरी के पंच तीर्थों में गिना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि मार्कंडेय ने इस स्थान पर साधना की थी। एक बार समुद्र के कोप से उनकी जान खतरे में थी, तब भगवान शिव ने उनकी रक्षा की। इसके पश्चात् मार्कंडेय ने उसी स्थान पर शिवलिंग स्थापित करके भक्ति में लीन हो गए। यही स्थान मार्कण्डेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
भुवनेश्वर पर्यटन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 12वीं शताब्दी में गंग राजवंश ने इस मंदिर का निर्माण किया था। मार्कण्डेश्वर मंदिर एक सफेद रंग की छोटी संरचना है, जिसके शीर्ष पर विस्तृत नक्काशी की गई है। यह मंदिर मार्कंडेय सरोवर (तालाब) के निकट स्थित है, जिसे पुरी तीर्थयात्रा का प्रारंभिक बिंदु माना जाता है। यह आयताकार तालाब लैटेराइट ब्लॉकों से बनी एक पत्थर की दीवार से घिरा है। यह एक खुली संरचना है, जहां अनुष्ठान के अलावा, मुंडन, पिंडदान आदि जैसे अन्य धार्मिक कर्मकांड भी इसी तालाब की सीढ़ियों पर किए जाते हैं।
मार्कण्डेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि, ऋषि पंचमी, संक्रांति और जन्माष्टमी जैसे त्योहार बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं। इसके अलावा, जगन्नाथ मंदिर से जुड़े अनुष्ठान जैसे शीतल षष्ठी, चंदन यात्रा, कालियादलन और बलभद्र जन्म भी धूमधाम से आयोजित किए जाते हैं। सावन के महीने में इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ दिखाई देती है।