क्या आप जानते हैं सावन विशेष: शिवनगरी का मार्कण्डेय महादेव मंदिर, जहां यमराज हुए थे पराजित?

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क्या आप जानते हैं सावन विशेष: शिवनगरी का मार्कण्डेय महादेव मंदिर, जहां यमराज हुए थे पराजित?

सारांश

सावन मास के आगमन के साथ शिवनगरी काशी की मार्कण्डेय महादेव मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है। यमराज के पराजय की अद्भुत कथा और यहाँ की विशेष पूजा विधियों के बारे में जानिए।

Key Takeaways

  • मार्कण्डेय महादेव मंदिर का धार्मिक महत्व
  • सावन माह में विशेष पूजा और मेले की परंपरा
  • यमराज के पराजय की पौराणिक कथा
  • शिवलिंग की स्थापना और भक्ति की महत्ता
  • कांवड़ियों की भीड़ और काशी की जीवंतता

वाराणसी, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष महत्व है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि समाप्त होने के साथ 11 जुलाई को श्रावण मास का आरंभ होगा। इस दौरान शिवनगरी काशी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने लगी है। काशी में अनेक मंदिर हैं जो विश्व के नाथ और उनके भक्तों की अद्भुत कहानियों से जुड़े हैं। इनमें से एक प्रमुख मंदिर है गंगा-गोमती के पवित्र संगम तट पर स्थित मार्कण्डेय महादेव का मंदिर।

इस मंदिर में सालभर 'हर हर महादेव' और 'ओम नम: शिवाय' का जाप गूंजता रहता है। सावन माह में यहां तो मानो तिल रखने की जगह नहीं होती है। कैथी गांव के निकट स्थित इस मंदिर के पास सावन की शुरुआत के साथ मेला भी आयोजित होता है।

इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां काल के देवता यमराज भी पराजित हो चुके हैं। मार्कण्डेय महादेव मंदिर की पौराणिक कथा भक्तों में गहरी आस्था जगाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऋषि मृकण्ड के पुत्र मार्कण्डेय को जन्म से दोष था, जिसके अनुसार उनकी आयु मात्र 14 वर्ष थी। उनके माता-पिता ने गंगा-गोमती तट पर बालू से शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की कठोर तपस्या की। जब मार्कण्डेय 14 वर्ष के हुए और यमराज उनके प्राण लेने आए, तब भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुए। शिव ने यमराज को लौटने का आदेश दिया और कहा, "मेरा भक्त सदा अमर रहेगा और उसकी पूजा मुझसे पहले होगी।"

तभी से यह स्थल मार्कण्डेय महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। सावन में इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है। यहां त्रयोदशी (तेरस) के दिन विशेष पूजा होती है, जहां भक्त पुत्र प्राप्ति और पति की लंबी आयु की कामना करते हैं। महामृत्युंजय जाप, शिवपुराण, रुद्राभिषेक और सत्यनारायण कथा का आयोजन भी होता है। महाशिवरात्रि पर दो दिनों तक अनवरत जलाभिषेक की परंपरा है।

धार्मिक मान्यता है कि बेलपत्र पर महादेव के आराध्य श्रीराम का नाम लिखकर अर्पित करने से संतान की आयु लंबी होती है और यम का त्रास भी नहीं रहता।

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख मिलता है, जिसके अनुसार, मार्कण्डेय महादेव मंदिर शिव की असीम कृपा का प्रतीक है। मार्कण्डेय ऋषि ने अपनी भक्ति से शिवलिंग स्थापित कर अमरता का वरदान प्राप्त किया था। सावन में कांवड़ियों की भीड़ से काशी की यह शिवनगरी और जीवंत हो उठती है।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि मार्कण्डेय महादेव मंदिर भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ की पौराणिक कथाएँ और श्रद्धालुओं की भीड़ इस मंदिर के महत्व को दर्शाते हैं। यह स्थान न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि भारतीय समाज के धार्मिक विविधता को भी दर्शाता है।
NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

मार्कण्डेय महादेव मंदिर का इतिहास क्या है?
मार्कण्डेय महादेव मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि मृकण्ड के पुत्र मार्कण्डेय को जन्म से 14 वर्ष की आयु तक जीने की भविष्यवाणी थी। जब यमराज उनके प्राण लेने आए, तब भगवान शिव ने उन्हें पराजित किया।
सावन माह में यहाँ क्या विशेष पूजा होती है?
सावन में त्रयोदशी के दिन विशेष पूजा होती है, जहां भक्त पुत्र प्राप्ति और पति की लंबी आयु की कामना करते हैं।
क्या यहाँ पर मेला लगता है?
हाँ, सावन की शुरुआत के साथ इस मंदिर के पास मेला भी आयोजित होता है, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है।
मार्कण्डेय महादेव मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर वाराणसी के कैथी गांव के पास गंगा-गोमती के पवित्र संगम तट पर स्थित है।
इस मंदिर की खास बात क्या है?
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यमराज को यहाँ पराजित किया गया था, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाता है।