क्या सीएम योगी को सरकारी भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मनमानी पर सख्त कदम उठाने चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- सरकारी भ्रष्टाचार पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
- मायावती ने सख्त कार्रवाई की मांग की है।
- तबादलों में अनियमितताओं की चर्चा जोरों पर है।
- सरकार को भ्रष्टाचार निरोधक विजिलेंस को सक्रिय करना चाहिए।
- सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
लखनऊ, 20 जून (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों में तबादलों में हुई भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। तबादले के इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी सरकार पर निशाना साधा है। मायावती ने कहा कि सरकारी भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तुरंत कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "देश के विभिन्न राज्यों की तरह यूपी में भी सरकारी कार्यों के साथ-साथ विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार और हिस्सेदारी के आरोपों के बीच हुए तबादलों की चर्चा को सीएम योगी आदित्यनाथ को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्हें न केवल भ्रष्टाचार निरोधक विजिलेंस विभाग को सक्रिय करना चाहिए, बल्कि समयबद्ध एसआईटी का गठन करके व्यवस्था में आवश्यक सुधार भी करना चाहिए। यह जनहित और देशहित में अति आवश्यक है। सरकारी भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मनमानी पर यूपी सीएम जितना जल्दी सख्त कदम उठाएंगे, उतना ही बेहतर होगा।
सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया पर एक शायरी के माध्यम से सरकार को घेरने का प्रयास किया। उन्होंने लिखा कि जिसको ट्रांसफर में हिस्सा नहीं मिला है, वह अब किस्सा सुनाने आया है। यह सच है कि कई मंत्रियों ने ट्रांसफर की फाइल की ‘फीस’ नहीं मिलने पर फाइल लौटा दी है।
हाल ही में मायावती ने योगी सरकार में हुई कांस्टेबल भर्ती पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह एक रूटीन कार्य था। इसमें कुछ नया नहीं था, लेकिन सरकार की ओर से इसका जोरदार प्रचार किया गया।
मायावती ने एक और पोस्ट में लिखा, "यूपी में हाल ही में हुई सिपाही भर्ती को इस तरह प्रचारित किया गया जैसे यह कोई नई बात हो, जबकि पुलिस में ऐसी भर्ती रूटीन कार्य है, ताकि बैकलॉग की समस्या न आए। लेकिन, इस भर्ती में क्या सर्वसमाज को सही हक मिला या नहीं और उनकी ट्रेनिंग का क्या? यही आम चिंता है।"
दूसरी पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल में भर्ती प्रक्रिया को ईमानदार बताया। उन्होंने लिखा, "बीएसपी की सरकार में यूपी में 'कानून द्वारा कानून का राज' का नीतिगत माहौल स्थापित करने के लिए 1.20 लाख नए पद सृजित करके पुलिस भर्ती को ईमानदार बनाया गया। इसका लाभ समाज के सभी वर्गों को मिला, जो अब काफी कम हो गया है।"
ज्ञात रहे कि उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों में तबादलों में हुए भ्रष्टाचार, हिस्सेदारी और मनमानी के आरोपों की चर्चा जोरों पर है। हालिया मामला निबंधन विभाग में सामने आया है। इससे पहले होम्योपैथी विभाग में ट्रांसफर आदेश निरस्त हो चुके हैं। वहीं, बेसिक शिक्षा, स्वास्थ्य, आयुष आदि विभागों में भी आरोपों के चलते स्थानांतरण आदेश जारी नहीं हो सके।