क्या मुंबई ट्रेन धमाके के पीड़ित लालजी रमाकांत पांडेय ने हाईकोर्ट के फैसले पर गहरी नाराज़गी जताई?

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क्या मुंबई ट्रेन धमाके के पीड़ित लालजी रमाकांत पांडेय ने हाईकोर्ट के फैसले पर गहरी नाराज़गी जताई?

सारांश

लालजी रमाकांत पांडेय, जो 2006 के मुंबई ट्रेन धमाकों के भुक्तभोगी हैं, ने हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी गहरी निराशा जताई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की माँग की और दोषियों को सख्त सजा देने की बात कही। क्या उन्हें न्याय मिलेगा?

Key Takeaways

  • लालजी रमाकांत पांडेय ने हाईकोर्ट के फैसले पर आक्रोश जताया।
  • उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की मांग की।
  • बम विस्फोट ने कई जिंदगियों को प्रभावित किया।
  • निचली अदालत का फैसला न्यायसंगत था।
  • पीड़ितों को न्याय दिलाने की आवश्यकता है।

मुंबई, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 2006 के मुंबई ट्रेन धमाकों के पीड़ित लालजी रमाकांत पांडेय ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर गहरा दुख और आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि निचली अदालत का फैसला "न्यायसंगत" था और हाईकोर्ट के इस निर्णय ने उन्हें और अन्य पीड़ितों को गहरी निराशा दी है। उनका कहना है कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने और दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की जानी चाहिए।

लालजी रमाकांत पांडेय उस ट्रेन में सवार थे, जब सात ट्रेनों के प्रथम श्रेणी डिब्बों में एक के बाद एक सात बम विस्फोट हुए। इस हमले ने मुंबई की पश्चिमी रेलवे लाइन को हिलाकर रख दिया था। इस दौरान पांडेय को गंभीर चोटें आईं, जिसके कारण उन्हें दो महीने तक सायन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। इसके बाद सात साल तक उनका इलाज चला। इस हादसे ने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया।

उन्होंने बताया, "आज भी मुझे सुनाई नहीं देता। मेरी स्मृति हानि हो गई है। मैंने और मेरे जैसे कई लोगों ने उस भयानक पीड़ा को सात साल तक झेला है।"

पांडेय ने उस भयावह दिन को याद करते हुए कहा, "यह कोई मामूली घटना नहीं थी। पूरा स्टेशन खून से लथपथ था। लाशें बिछी हुई थीं। पैरों तक खून था। सात-आठ ट्रेनों में एक साथ धमाके हुए। यह बहुत भयंकर हादसा था। इस हमले में कहीं न कहीं मिलीभगत थी और हाईकोर्ट का फैसला हमारे लिए स्तब्ध करने वाला है।"

उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, "निचली अदालत ने जो सजा दी थी, वह साक्ष्यों के आधार पर थी। बिना साक्ष्य के सजा नहीं दी जाती। फिर हाईकोर्ट ने कैसे इसे रद्द कर दिया? यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जज महोदय ने किस तरह से निर्णय दिया, कौन से साक्ष्य पर दिया और कौन सा साक्ष्य उनको नहीं मिला, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला जाए। सख्त सजा मिले और सही न्याय मिले।"

लालजी रमाकांत पांडेय ने अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए कहा, "जो लोग मर गए, उनके परिवार उजड़ गए, उनके बच्चे अनाथ हो गए, उनका क्या होगा? मैं तन, मन, धन से इस लड़ाई को आगे बढ़ाऊंगा। यह फैसला न्यायपालिका के इतिहास में काला धब्बा है।"

Point of View

बल्कि न्याय प्रणाली में भी प्रश्न उठाती है। उच्च न्यायालय का फैसला उन पीड़ितों के लिए निराशाजनक है, जिन्होंने न्याय की उम्मीद की थी। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यायपालिका अपने कर्तव्यों को सही तरीके से निभाए और पीड़ितों को न्याय दिलाए।
NationPress
25/07/2025

Frequently Asked Questions

लालजी रमाकांत पांडेय कौन हैं?
लालजी रमाकांत पांडेय 2006 के मुंबई ट्रेन धमाकों के पीड़ित हैं जो उस दिन ट्रेन में मौजूद थे।
हाईकोर्ट का फैसला क्या था?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया, जो पीड़ितों के लिए निराशाजनक था।
लालजी ने क्या मांग की है?
लालजी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने और दोषियों को फांसी की सजा की मांग की है।
इस घटना का असर क्या था?
इस घटना ने कई लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित किया और कई पीड़ितों को गंभीर चोटें आईं।
क्या पीड़ितों को न्याय मिलेगा?
यह अब सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर करता है कि वह इस मामले में क्या निर्णय लेगा।