क्या आत्मनिर्भरता के साथ नौसेना के लिए स्वदेशी उपग्रह का प्रक्षेपण एक नई दिशा है?

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क्या आत्मनिर्भरता के साथ नौसेना के लिए स्वदेशी उपग्रह का प्रक्षेपण एक नई दिशा है?

सारांश

भारत के रक्षा क्षेत्र में एक विशेष उपलब्धि, जीसैट-7आर उपग्रह का प्रक्षेपण। यह उपग्रह भारतीय नौसेना के संचार नेटवर्क को सशक्त करेगा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जानें इसके महत्व और प्रभाव को।

Key Takeaways

  • जीसैट-7आर उपग्रह भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
  • यह नौसेना के संचार नेटवर्क को सशक्त करेगा।
  • उपग्रह का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से होगा।
  • यह उपग्रह राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा।
  • मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सपोर्ट उपलब्ध कराएगा।

नई दिल्ली, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस) भारत के रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित होने जा रहा है। यह कदम आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है। इस क्रम में, रविवार को नौसेना के लिए स्वदेशी संचार उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित किया जाएगा। यह उपग्रह अंतरिक्ष आधारित संचार क्षमता को और बढ़ाएगा।

भारतीय नौसेना की संचार क्षमता को और प्रभावशाली बनाने के लिए, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) रविवार को जीसैट-7आर उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा। यह उपग्रह नौसेना के लिए अब तक का सबसे उन्नत और भारी संचार उपग्रह है, जिसका वजन लगभग 4,400 किलोग्राम है। भारतीय नौसेना के अनुसार, यह उपग्रह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है।

नौसेना ने बताया कि यह उपग्रह श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षिप्त होगा। जीसैट-7आर, जिसे सीएमएस-03 के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय नौसेना की समुद्री संचार प्रणाली में एक नया अध्याय जोड़ेगा। इसकी मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं, यह भारत का सबसे भारी संचार उपग्रह है, जिसमें अत्याधुनिक स्वदेशी घटक शामिल हैं। उच्च क्षमता वाले ट्रांसपोंडर जो आवाज, डेटा और वीडियो लिंक को एक साथ संचालित कर सकेंगे।

इससे मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सपोर्ट मिलेगा, जिससे नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों, विमानों और समुद्री संचालन केंद्रों के बीच सुरक्षित और निर्बाध संपर्क बना रहेगा। यह भारतीय महासागर क्षेत्र में व्यापक टेलीकम्युनिकेशन कवरेज प्रदान करेगा। इस उपलब्धि का एक बड़ा लाभ यह है कि इससे नौसेना की समुद्री डोमेन जागरूकता और रणनीतिक क्षमताओं में वृद्धि होगी।

विशेषज्ञ इसे नौसेना की परिचालन क्षमता में एक नई छलांग के रूप में देख रहे हैं। वास्तव में, जीसैट-7आर के संचालन में आने से भारतीय नौसेना की नेटवर्क-सेंट्रिक ऑपरेशंस को और मजबूती मिलेगी। इससे दूरस्थ समुद्री सीमाओं पर भी रीयल-टाइम डेटा ट्रांसमिशन संभव होगा। इसके साथ ही, नौसेना की निगरानी और समन्वय को भी मजबूती मिलेगी। इसलिए यह उपग्रह नौसेना की ‘डिजिटल नौसेना’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सशक्त कदम है। जीसैट-7आर परियोजना, भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियानों की भावना को साकार करती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह न केवल तकनीकी दृष्टि से देश की क्षमताओं का प्रतीक है, बल्कि भारतीय नौसेना के रणनीतिक संचार नेटवर्क को वैश्विक मानकों तक पहुंचाएगी। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा में नई दिशा और प्रगति आएगी।

जटिल और बदलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में यह उपग्रह भारतीय नौसेना की समुद्री सीमाओं की रक्षा, संचार नेटवर्क की सुरक्षा, और रणनीतिक निर्णय प्रक्रिया को और अधिक मजबूत करेगा। जीसैट-7आर का सफल प्रक्षेपण भारत की अंतरिक्ष और रक्षा साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और यह इस बात का प्रतीक होगा कि भारत अब अपने समुद्री और अंतरिक्ष क्षेत्रों में पूर्ण स्वावलंबन की दिशा में अग्रसर है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि जीसैट-7आर उपग्रह का प्रक्षेपण न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी, जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करेगी।
NationPress
02/11/2025

Frequently Asked Questions

जीसैट-7आर उपग्रह का उद्देश्य क्या है?
जीसैट-7आर उपग्रह का उद्देश्य भारतीय नौसेना की संचार क्षमता को सशक्त करना है, जिससे समुद्री संचालन में बेहतर संचार सुविधाएं उपलब्ध हों।
यह उपग्रह कब और कहाँ प्रक्षिप्त किया जाएगा?
यह उपग्रह रविवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षिप्त किया जाएगा।
जीसैट-7आर की विशेषताएँ क्या हैं?
जीसैट-7आर भारत का सबसे भारी संचार उपग्रह है, जिसमें अत्याधुनिक स्वदेशी घटक और उच्च क्षमता वाले ट्रांसपोंडर शामिल हैं।