क्या मध्य प्रदेश की नीमच की महिलाएं फिल्म पैडमैन की कहानी को जीवित कर रही हैं?

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं का स्वावलंबन
- सैनिटरी पैड का महत्व
- स्वयं सहायता समूह की भूमिका
- महिला सशक्तीकरण की दिशा में कदम
- स्थानीय उत्पादन और आजीविका
नीमच, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के नीमच जिले की खोर ग्राम पंचायत की महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह ने अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ अन्य महिलाओं के लिए एक आदर्श स्थापित किया है। इस समूह की सदस्याएं फिल्म पैडमैन की कहानी को साकार करते हुए सैनिटरी पैड का निर्माण कर महिला सशक्तीकरण की एक प्रेरणादायक मिसाल पेश कर रही हैं।
महिलाओं ने कोरोना महामारी के दौरान सैनिटरी पैड बनाने का कार्य शुरू किया। उन्होंने 'नारी स्वाभिमान' नाम से एक पहल की, जिसका उद्देश्य महिलाओं के स्वाभिमान को बढ़ावा देना था। इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी के महिला सशक्तीकरण और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की सहायता से उन्हें नए अवसर प्राप्त हुए। कोरोना काल में एनआरएलएम के तहत तीन लाख रुपए की आर्थिक सहायता मिली, जिससे उन्होंने पीपीई किट बनाने का कार्य भी आरंभ किया। आज ये महिलाएं बड़े पैमाने पर सैनिटरी पैड बनाकर अपने और अपने परिवार की आजीविका चला रही हैं।
नारी स्वाभिमान स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष मोना खोईवाल ने बताया, "2020 में गांव की 12 महिलाओं ने मिलकर एक महिला स्वयं सहायता समूह बनाया। हम पीपीई किट बनाने के साथ-साथ सैनिटरी पैड के निर्माण की दिशा में भी आगे बढ़े। हमने गांव-गांव जाकर महिलाओं को माहवारी से संबंधित समस्याओं के बारे में जागरूक किया और पैड के उपयोग के लाभ बताए। अब हम बड़ी मशीनों का उपयोग कर बड़े ऑर्डर ले रहे हैं।"
समूह की सदस्य भारती नकवाल ने कहा, "यहां सैनिटरी पैड का निर्माण चल रहा है, जिसका नाम नारी स्वाभिमान है। कई महिलाएं पिछले 5-6 वर्षों से कार्यरत हैं। जब हमें अधिक ऑर्डर मिले, तो हमने बड़ी मशीनों का उपयोग किया। कुछ महिलाएं मशीन चलाती हैं, और कुछ पैड का वजन एवं पैकिंग का कार्य करती हैं।"
उन्होंने आगे बताया, "पहले महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल करती थीं, जिससे बीमारियां होती थीं। इसलिए हमने पैड बनाने का काम शुरू किया। यहां 10-15 महिलाएं काम करती हैं और हमें 5-8 लाख तक के ऑर्डर मिलते हैं, जिसे पूरा करने में 8-10 दिन का समय लगता है।"