क्या 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद 'चीफ्स चिंतन' में पूर्व सेना प्रमुखों के साथ सहयोग बढ़ेगा?

सारांश
Key Takeaways
- पूर्व सेना प्रमुखों के अनुभव का लाभ उठाना
- ऑपरेशन सिंदूर की रणनीतिक प्रभावशीलता
- सेना में तकनीकी समावेशन
- मानव संसाधन नीतियों में सुधार
- भविष्य के लिए रणनीतिक दिशा का निर्धारण
नई दिल्ली, १७ जून (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना के पूर्व सेना प्रमुखों के साथ 'ऑपरेशन सिंदूर' की ऑपरेशनल जानकारी साझा की गई है। नई दिल्ली में भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और पूर्व सेना प्रमुखों के बीच एक संरचित संवाद कार्यक्रम 'चीफ्स चिंतन' का आयोजन किया गया है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम मंगलवार को प्रारंभ हुआ।
इस सम्मेलन का लक्ष्य पूर्व सेना प्रमुखों के संस्थागत ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाना है, जिससे भारतीय सेना के भविष्य के दृष्टिकोण और बदलावों को और अधिक सुदृढ़ किया जा सके।
जनरल द्विवेदी ने पूर्व सेना प्रमुखों का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय सेना के परिवर्तन और दिशा निर्धारण में उनकी सतत भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कार्यक्रम में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर ही सबसे अधिक चर्चा हुई।
पूर्व सेनाध्यक्षों को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विस्तृत ऑपरेशनल प्रस्तुति दी गई, जिसमें भारतीय थल सेना का वायुसेना और नौसेना के साथ समन्वित संचालन, उसकी रणनीतिक प्रभावशीलता और संयुक्त संचालन मॉडल पर चर्चा की गई।
इस संवाद में पूर्व सेना प्रमुखों को सेना में नवीनतम तकनीकों के समावेशन और आधुनिकीकरण की पहलों की भी जानकारी दी गई। सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जा रही है, जिसमें तकनीकी समावेशन की दिशा में प्रयासों का उल्लेख किया गया।
विकसित भारत 2047 के अंतर्गत भारतीय सेना की भूमिका पर भी विचार विमर्श किया जा रहा है। मानव संसाधन और पूर्व सैनिक कल्याण भी इस संवाद का एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसमें एचआर नीतियों में सुधार और पूर्व सैनिकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की चर्चा की जा रही है।
इस संवाद में पूर्व सेना प्रमुखों ने अपने विचार साझा किए हैं, जो भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाने और संगठनात्मक सुधारों को गति देने में सहायक होंगे। यह संवाद सेना नेतृत्व की निरंतरता और 'भविष्य के लिए तैयार' भारतीय सेना की सामूहिक प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है।