क्या सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्व सेनाध्यक्षों के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात की?

सारांश
Key Takeaways
- जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्व थलसेनाध्यक्षों के साथ मिलकर भारतीय सेना के भविष्य की दिशा तय की।
- 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विस्तृत चर्चा हुई।
- पूर्व सेना प्रमुखों के अनुभव का लाभ उठाया जाएगा।
- यह बैठक भारतीय सेना की सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- सेना के संरचनात्मक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
नई दिल्ली, 18 जून (राष्ट्र प्रेस)। थलसेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल वी.पी. मलिक, जनरल एन.सी. विज, जनरल जे.जे. सिंह, जनरल दीपक कपूर, जनरल बिक्रम सिंह और जनरल मनोज पांडे के साथ बुधवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की।
यह भेंट शिष्टाचार भेंट मानी जा रही है। उल्लेखनीय है कि नई दिल्ली में ‘चीफ्स चिंतन’ नामक एक विशेष संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम मंगलवार को शुरू हुआ। मानेकशॉ सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान जनरल उपेंद्र द्विवेदी और पूर्व सेना प्रमुखों के बीच गहन विचार-विमर्श हुआ।
सेना के अनुसार, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आयोजित इस संवाद का उद्देश्य पूर्व सेनाध्यक्षों के विशाल अनुभव और रणनीतिक दृष्टिकोण का लाभ उठाते हुए भारतीय सेना के भविष्य को दिशा देना था। इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विस्तृत प्रस्तुति रही, जिसमें संयुक्त अभियानों और रणनीतिक प्रभाव को रेखांकित किया गया। पूर्व सेना प्रमुखों ने अपनी अमूल्य अंतर्दृष्टि और सुझाव साझा किए, जो सेना की क्षमता संवर्धन और संगठनात्मक सुधारों में सहायक होंगे।
यह कार्यक्रम वर्तमान और पूर्व नेतृत्व की सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय सेना भविष्य की चुनौतियों के लिए पूरी तरह से तैयार रहे। यहाँ पूर्व सेना प्रमुखों के साथ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की ऑपरेशनल जानकारी साझा की गई।
वास्तव में, यह भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और पूर्व सेना प्रमुखों के बीच एक संरचित संवाद कार्यक्रम था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य पूर्व सेना प्रमुखों के संस्थागत ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाना था। इससे भारतीय सेना के भविष्य के दृष्टिकोण और सेना में होने वाले बदलावों को और अधिक सुदृढ़ किया जा सकेगा। जनरल द्विवेदी ने पूर्व सेना प्रमुखों का स्वागत करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारतीय सेना के परिवर्तन और दिशा निर्धारण में उनकी निरंतर भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है।