क्या पीएम मोदी ने जी20 समिट में मानवता के लिए चिंता के विषयों पर बात की?
सारांश
Key Takeaways
- टेक्नोलॉजी का विकास अवसर और संसाधनों के संकेंद्रण की ओर बढ़ रहा है।
- एआई के क्षेत्र में भारत का दृष्टिकोण समान पहुँच और जिम्मेदार तैनाती पर केंद्रित है।
- ग्लोबल कॉम्पैक्ट की आवश्यकता है ताकि एआई का उपयोग मानवता के लिए हो।
- भारत ने कोविड काल में 150 से अधिक देशों को वैक्सीन पहुँचाई।
- विकास और व्यापार का दृष्टिकोण टिकाऊ और समावेशी होना चाहिए।
जोहान्सबर्ग, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। यहाँ उन्होंने जी20 समिट में भाग लिया और रविवार को अपनी यात्रा के तीसरे दिन समिट के तीसरे सत्र को संबोधित किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे अवसर और संसाधन कुछ ही हाथों में संकेंद्रित हो रहे हैं। वैश्विक स्तर पर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी पर संघर्ष बढ़ता जा रहा है, जो मानवता के लिए चिंताजनक है। इसके साथ ही यह इन्वोवेशन के मार्ग में भी बाधा डाल रहा है। इसके समाधान के लिए हमें अपने दृष्टिकोण में मौलिक परिवर्तन लाने की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे कहा कि हमें ऐसे टेक्नोलॉजी एप्लिकेशंस को बढ़ावा देना चाहिए जो 'फाइनेंस सेंट्रिक' नहीं, बल्कि 'ह्यूमन सेंट्रिक' हों, जो 'नेशनल' नहीं, बल्कि 'ग्लोबल' हों और जो 'एक्सक्लूसिव मॉडेल्स' के बजाय 'ओपन सोर्स' हों। इसी दृष्टिकोण को भारत के सभी टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट्स में शामिल करने का प्रयास किया गया है। यही कारण है कि आज भारत में दुनिया में सबसे अधिक डिजिटल पेमेंट्स हो रहे हैं। स्पेस टेक्नोलॉजी से लेकर एआई तक, हर क्षेत्र में हमें सकारात्मकता और व्यापक भागीदारी देखने को मिलती है।
पीएम मोदी ने बताया कि एआई के क्षेत्र में भारत का दृष्टिकोण तीन स्तंभों पर आधारित है: समान पहुँच, जनसंख्या-स्तरीय कौशल, और जिम्मेदार तैनाती। इंडिया-एआई मिशन के तहत हम ऐसे उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग का निर्माण कर रहे हैं, ताकि एआई का लाभ हर जिले और हर भाषा तक पहुँच सके। इससे मानव विकास के प्रयासों को स्केल और स्पीड मिलेगी।
सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एआई का उपयोग वैश्विक कल्याण के लिए हो और इसके गलत उपयोग से बचा जाए। इसके लिए हमें एआई पर एक ग्लोबल कॉम्पैक्ट बनाना होगा, जिसमें प्रभावी मानव निगरानी, डिज़ाइन द्वारा सुरक्षा, पारदर्शिता, और डीपफेक, अपराध, तथा आतंकवादी गतिविधियों में एआई के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध शामिल हों।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो एआई सिस्टम मानव जीवन, सुरक्षा, या लोगों के विश्वास को प्रभावित करते हैं, उन्हें जिम्मेदार होना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण है कि एआई मानव क्षमताओं को बढ़ाए, लेकिन निर्णय लेने की अंतिम जिम्मेदारी हमेशा मानव के पास ही रहे।
फरवरी 2026 में भारत एआई इम्पैक्ट समिट की मेज़बानी करेगा, जिसका थीम है सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय। इसमें हम जी20 देशों को साझेदारी का आमंत्रण देते हैं।
उन्होंने कहा कि एआई के इस युग में हमें अपनी दृष्टिकोण को 'आज की नौकरियां' से 'कल की क्षमताएं' की ओर तेजी से बदलना होगा। रैपिड इनोवेशन के लिए टैलेंट की मोबिलिटी को अनलॉक करना अत्यंत आवश्यक है। इस विषय पर हमने दिल्ली जी20 में प्रगति की थी। हमें आशा है कि अगले कुछ वर्षों में जी20 एक प्रतिभा मोबिलिटी का वैश्विक ढांचा विकसित करेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि कोविड काल ने वैश्विक सप्लाई की कमजोरियों को उजागर कर दिया। उस कठिन समय में भी भारत ने 150 से अधिक देशों को वैक्सीनेशन और दवाइयां पहुँचाईं। देशों को केवल बाजार के रूप में नहीं देखना चाहिए। हमें एक संवेदनशील और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।
भारत का संदेश स्पष्ट है कि विकास ऐसा हो जो टिकाऊ हो, व्यापार ऐसा हो जो विश्वसनीय हो, वित्त ऐसा हो जो निष्पक्ष हो, और प्रगति ऐसी हो जिसमें सर्व-समावेशी समृद्धि हो। इसी से हम सभी के लिए एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण भविष्य बना सकते हैं।