क्या रविवार का व्रत रखने से मिलती है सुख समृद्धि? जानें सूर्य पूजा करने का सही तरीका

सारांश
Key Takeaways
- रविवार का व्रत सुख और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
- सूर्य पूजा का सही तरीका जानें।
- सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल होते हैं।
- अभिजीत मुहूर्त में पूजा करें।
- गुड़ और तांबे का दान करें।
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि रविवार को सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में हैं, जबकि चंद्रमा 6 अक्टूबर को रात 12 बजकर 45 मिनट तक कुंभ राशि में रहेगा और इसके बाद मीन राशि में गोचर करेगा।
द्रिक पंचांग के अनुसार, रविवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। राहुकाल का समय शाम 4 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। त्रयोदशी का समय 4 अक्टूबर शाम 5 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर 5 अक्टूबर दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी।
अग्नि और स्कंद पुराणों में उल्लेख है कि रविवार का व्रत रखने से साधक को सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आप इस व्रत को किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू कर सकते हैं। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है। 12 रविवार व्रत कर उद्यापन करें।
व्रत की शुरुआत के लिए, आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, व्रत कथा सुनें और सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर अर्घ्य दें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा, रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र मंत्र का पाठ और सूर्य देव के मंत्र "ऊं सूर्याय नमः" या "ऊं घृणि सूर्याय नमः" का जप करने से भी विशेष लाभ मिलता है। रविवार के दिन गुड़ और तांबे का दान भी महत्वपूर्ण है। इन उपायों से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है।
सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।