क्या पौष कृष्ण पक्ष तृतीया पर रविवार व्रत के विशेष लाभ और पूजा विधि है?
सारांश
Key Takeaways
- पौष कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर रविवार का व्रत विशेष महत्व रखता है।
- सूर्य देव की आराधना से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है।
- इस दिन अभिजीत मुहूर्त और राहुकाल का ध्यान रखना आवश्यक है।
- सूर्य देव को अर्घ्य देना इस दिन का मुख्य कार्य है।
- आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि रविवार को आ रही है। इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा रात 10 बजकर 38 मिनट तक मिथुन राशि में रहेंगे। इसके बाद वे कर्क राशि में गोचर करेंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, रविवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। वहीं, राहुकाल का समय शाम 4 बजकर 6 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इस तिथि पर कोई विशेष पर्व नहीं है। यदि किसी जातक के जीवन में कोई समस्या है या कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो वे इस दिन विधि-विधान से सूर्य देव की आराधना और व्रत रख सकते हैं।
स्कंद और नारद पुराण में रविवार व्रत का उल्लेख मिलता है, जिसमें बताया गया है कि यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है।
यह व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से आरंभ कर सकते हैं और 12 रविवार व्रत एवं विधि-विधान से पूजा कर उद्यापन कर सकते हैं। यदि कोई जातक कुछ कारणों से व्रत नहीं रख सकता है, तो उन्हें सूर्य देव को अर्घ अवश्य देना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा का सेवन और बाल या दाढ़ी कटवाने से बचें।
रविवार का व्रत करने के लिए जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर व्रत कथा सुनें। सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर अर्घ्य दें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा, रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने और सूर्य देव के मंत्र "ऊं सूर्याय नमः" या "ऊं घृणि सूर्याय नमः" का जप करने से भी विशेष लाभ होता है। रविवार के दिन गुड़ और तांबे का दान भी विशेष महत्व रखता है।