क्या सुप्रीम कोर्ट सोनम वांगचुक की नजरबंदी मामले में सुनवाई करेगा?

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क्या सुप्रीम कोर्ट सोनम वांगचुक की नजरबंदी मामले में सुनवाई करेगा?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट लद्दाख स्थित जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की नजरबंदी पर सुनवाई करने जा रहा है। यह मामला उनकी पत्नी द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिसमें नजरबंदी की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं। क्या न्यायालय इस मामले में उचित निर्णय देगा? जानें पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने सोनम वांगचुक की नजरबंदी मामले की सुनवाई तय की है।
  • याचिका में नजरबंदी की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं।
  • केंद्र सरकार ने नजरबंदी के आधार प्रदान किए हैं।
  • लेह प्रशासन ने अपनी प्रक्रिया को सही ठहराया है।
  • सोनम वांगचुक की हिरासत ने नागरिक अधिकार समूहों का ध्यान आकर्षित किया है।

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के अंतर्गत नजरबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा।

वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो द्वारा दायर इस याचिका में उनकी नजरबंदी की वैधता और अधिकारियों द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं।

इस महीने की शुरुआत में, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने अंगमो को अपनी रिट याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी थी, जब उनके वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सरकार द्वारा दिए गए नए विवरण शामिल करने के लिए अनुमति मांगी थी।

सिब्बल ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने वांगचुक को नजरबंदी के आधार बता दिए हैं, जिससे मूल याचिका में संशोधन करना आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा, "मैं याचिका में संशोधन करूंगा ताकि मामला यहीं जारी रह सके।" इसके बाद, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय कर दी।

सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में मूल रूप से यह तर्क किया गया था कि अधिकारी एनएसए की धारा 8 के तहत हिरासत के आधार प्रस्तुत करने में विफल रहे हैं, जिसके अनुसार बंदियों को एक निश्चित समय के भीतर उनकी हिरासत के कारणों के बारे में सूचित किया जाना आवश्यक है।

हालांकि, लेह प्रशासन ने जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोंक के माध्यम से दायर अपने हलफनामे में दावा किया कि निर्धारित अवधि के भीतर बंदी को कारणों से विधिवत अवगत करा दिया गया था।

इस बीच, एनएसए के तहत गठित सलाहकार बोर्ड ने हाल ही में वांगचुक की हिरासत की समीक्षा की। पूर्व न्यायाधीश एमके हुजुरा (अध्यक्ष), जिला न्यायाधीश मनोज परिहार और सामाजिक कार्यकर्ता स्पल जयेश अंगमो सहित तीन सदस्यीय पैनल ने राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में तीन घंटे तक बंद कमरे में सुनवाई की। कार्यवाही के दौरान वांगचुक और उनकी पत्नी दोनों मौजूद थे।

सुनवाई कथित तौर पर एनएसए लगाने के प्रशासन के औचित्य और वांगचुक के प्रतिनिधित्व पर केंद्रित थी, जिसमें इसे चुनौती दी गई थी।

सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था। इसके बाद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए और नागरिक अधिकार समूहों ने भी इसकी आलोचना की। उन्होंने वांगचुक की हिरासत को मनमाना और अनुचित बताया।

Point of View

क्योंकि यह सुनिश्चित करेगा कि कानून का पालन हो और किसी भी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन न हो। हमें इस मामले पर ध्यान देना चाहिए और न्यायपालिका के निर्णय का सम्मान करना चाहिए।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

सोनम वांगचुक को क्यों हिरासत में लिया गया?
सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है, जिसके कारणों पर अदालत में सुनवाई चल रही है।
सुप्रीम कोर्ट कब सुनवाई करेगा?
सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर बुधवार को सुनवाई करेगा।
क्या सोनम वांगचुक की नजरबंदी को चुनौती दी गई है?
हाँ, उनकी पत्नी द्वारा दायर याचिका में नजरबंदी की प्रक्रिया और वैधता को चुनौती दी गई है।