क्या उत्तराखंड के पैसानी गांव में 34 साल बाद आई आपदा ने ग्रामीणों को विस्थापित करने की मांग की है?

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क्या उत्तराखंड के पैसानी गांव में 34 साल बाद आई आपदा ने ग्रामीणों को विस्थापित करने की मांग की है?

सारांश

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के पैसानी गांव में 34 वर्षों के बाद आई भीषण आपदा ने स्थानीय लोगों की जिंदगी को बर्बाद कर दिया है। बारिश और बादल फटने ने गांव को पूरी तरह से प्रभावित किया है। जानें इस संकट की पूरी कहानी और ग्रामीणों की विस्थापन की मांग के बारे में।

Key Takeaways

  • आपदा ने गांव को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है।
  • भारी बारिश और बादल फटने के कारण जीवन प्रभावित हुआ है।
  • ग्रामीणों ने विस्थापन की मांग की है।
  • 14 पैदल पुल बह चुके हैं, जिससे संपर्क टूटा है।

बागेश्वर, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के पैसानी गांव में 34 वर्षों के बाद आई भीषण आपदा ने स्थानीय निवासियों की जिंदगी को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। मूसलधार बारिश और बादल फटने की घटना ने गांव को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया।

खेत, पशुपालन, और बुनियादी ढांचा सब कुछ बिखर चुका है। कनलगढ़ घाटी के एक से अधिक गांवों में बिजली, पानी और सड़क संपर्क ठप हो गए हैं। 14 पैदल पुल बह चुके हैं, जिससे स्थानीय लोगों का बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह से कट गया है। आपदा के शिकार लोग कैंप बैसानी में शरण ले रहे हैं। लेकिन, भय और अनिश्चितता के बीच वे अपने गांव लौटने के लिए तैयार नहीं हैं।

जिला पंचायत सदस्य बलवंत आर्या ने संवाददाताओं से कहा कि 28 तारीख को हुई मूसलधार बारिश ने दो परिवारों को पूरी तरह से प्रभावित किया है। इन परिवारों के पांच सदस्य मारे गए, जिनमें से तीन शव बरामद किए गए हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लापता लोगों का पता लगाने में जुटी हुई हैं।

उन्होंने कहा, "स्थिति इतनी गंभीर है कि न तो पीने का पानी उपलब्ध है, न ही बुनियादी आवश्यकताएँ पूरी हो रही हैं। पूरा बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो चुका है।"

ग्रामीणों की एकमात्र मांग है कि उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किया जाए। आर्या ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से अपील की है कि प्रभावित लोगों को तुरंत दूसरी जगह बसाया जाए।

पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य हीरा सिंह बघरी ने भी प्रशासन से तुरंत विस्थापन की मांग की है। उन्होंने कहा, "14 पुल बह चुके हैं। बादल फटने से प्रभावित लोग डरे हुए हैं। आने वाले दिनों में और खतरे हो सकते हैं। प्रशासन हमें सुरक्षित स्थान पर ले जाए ताकि हम सामान्य जिंदगी व्यतीत कर सकें।"

आपदा प्रभावित ग्रामीण देव राम ने संवाददाताओं से अपना दर्द साझा करते हुए कहा, "हमें न तो कपड़े चाहिए, न भोजन। सब कुछ बर्बाद हो चुका है। प्रशासन भोजन दे रहा है, लेकिन हम उसे कैसे तैयार करके खा सकते हैं? लोग कहते हैं कि दूसरी जगह जाओ, वहां सब मिलेगा, लेकिन इससे हमारी सभी आवश्यकताएँ पूरी नहीं होंगी।"

Point of View

बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी तैयारी कितनी कमजोर है। सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए आवश्यक उपाय किए जा सकें।
NationPress
01/09/2025

Frequently Asked Questions

पैसानी गांव में आपदा के कारण क्या हुआ?
पैसानी गांव में भारी बारिश और बादल फटने से गांव का बुनियादी ढांचा बर्बाद हो गया है, जिससे ग्रामीणों का जीवन प्रभावित हुआ है।
ग्रामीणों की मुख्य मांग क्या है?
ग्रामीणों की मुख्य मांग है कि उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किया जाए।