क्या विदेश मंत्रालय ने वन्दे मातरम् के 150वीं वर्षगांठ पर जश्न मनाया?

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क्या विदेश मंत्रालय ने वन्दे मातरम् के 150वीं वर्षगांठ पर जश्न मनाया?

सारांश

भारत के विदेश मंत्रालय ने वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया। एस जयशंकर ने इस अवसर पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया और देशवासियों को प्रेरित किया। जानिए इस अवसर की खास बातें।

Key Takeaways

  • वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया गया।
  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस अवसर पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समारोह का उद्घाटन किया।
  • यह कार्यक्रम पूरे वर्ष चलेगा।
  • वंदे मातरम् का महत्व हमारी पहचान का प्रतीक है।

नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देशभर में धूमधाम से उत्सव मनाया जा रहा है। इस अवसर पर भारत के विदेश मंत्रालय में भी एस जयशंकर ने इसका जश्न मनाया। उन्होंने इस बारे में जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की।

एक्स पर साझा की गई पोस्ट में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "विदेश मंत्रालय वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उत्सव में राष्ट्र के साथ है। वंदे मातरम् हमारे दृढ़ संकल्प, प्रतिबद्धता और आशा का प्रतीक है। यह हमें एक साझा सपना और सामूहिक नियति को साकार करने के लिए प्रेरित करता है। जैसे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, वंदे मातरम् के मूल में भारत है और यह हमेशा हमारे लिए प्रेरणादायक रहेगा।"

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 7 नवंबर को दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने की खुशी में स्मरणोत्सव समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। यह स्मरणोत्सव का कार्यक्रम पूरे साल चलेगा।

इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा, "वंदे मातरम्, ये शब्द एक मंत्र है, एक ऊर्जा है, एक सपना है और एक संकल्प है। वंदे मातरम्, ये शब्द माँ भारती की साधना और आराधना है। ये हमें हमारे इतिहास में ले जाते हैं, हमारे वर्तमान को आत्मविश्वास से भर देते हैं और भविष्य को नई प्रेरणा देते हैं कि कोई भी संकल्प असंभव नहीं है।"

उन्होंने आगे कहा कि गुलामी के उस काल में वंदे मातरम् आजादी के संकल्प का उद्घोष बन गया था, यह दर्शाता है कि हमें अपनी आजादी की रक्षा कैसे करनी है।

यह भी उल्लेखनीय है कि वंदे मातरम् पहली बार साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में 7 नवंबर 1875 को प्रकाशित हुआ था। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने इसे अपने उपन्यास आनंदमठ में भी शामिल किया, जो 1882 में प्रकाशित हुआ।

Point of View

NationPress
07/11/2025

Frequently Asked Questions

वंदे मातरम् का इतिहास क्या है?
वंदे मातरम् पहली बार 7 नवंबर 1875 को बंगदर्शन में प्रकाशित हुआ था।
इस समारोह का उद्घाटन किसने किया?
इस समारोह का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।
यह जश्न कब मनाया जा रहा है?
यह जश्न 7 नवंबर 2023 को मनाया गया।