क्या मुस्लिम नेताओं ने वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया? इमरान प्रतापगढ़ी ने इसे जीत बताया

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है।
- इससे गरीब मुसलमानों को न्याय मिलेगा।
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या सीमित की गई है।
- सरकार की साजिशों पर रोक लगी है।
- इस फैसले से वंचित तबके को राहत मिलेगी।
नई दिल्ली, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय के बाद, देश भर के मुस्लिम नेताओं और धर्मगुरुओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। उन्होंने इस निर्णय को गरीब, यतीम और वंचित मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मैं इसे एक जीत के रूप में देखता हूँ। हम इस लड़ाई को संसद से सड़क तक लड़ रहे हैं। याचिकाकर्ता खुश हैं और सरकार की साजिश पर बड़े पैमाने पर रोक लगी है।"
उन्होंने कहा, "सरकार की नीयत पर सवाल उठे थे। उस षड्यंत्र को रोक दिया गया है। मैं उन सभी को बधाई देता हूँ जिन्होंने यह लड़ाई लड़ी, लेकिन सरकार कैसे खुश हो सकती है? सरकार की साजिश का एक बड़ा हिस्सा रुक चुका है और अगर उसके बावजूद सरकार खुश होने का दावा करती है तो यह उसकी जिद के अलावा और कुछ नहीं है।"
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने बयान जारी करते हुए कहा, "वक्फ संशोधन अधिनियम के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया है। इस अंतरिम आदेश से हमें बड़ी राहत मिली है। हालांकि हमारी मांग पूरे कानून पर रोक लगाने की थी, फिर भी दी गई राहत पर्याप्त है। प्रयास जारी रहेंगे, क्योंकि अभी तक कोई अंतिम निर्देश जारी नहीं हुआ है।"
बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा, "मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत और सराहना करता हूँ। हमें उम्मीद थी कि कोर्ट गरीब, कमजोर, लाचार, अनाथ, विधवा मुसलमानों के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाएगा। वक्फ कानून के लागू होने के बाद जिन अमीर लोगों ने वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा है, उन्हें हटाया जाएगा और इनका इस्तेमाल स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, मस्जिद, मदरसे और अनाथालय बनाने में किया जाएगा।"
अलीगढ़ के मौलाना चौधरी इफ्राहीम हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं। इस फैसले से मुसलमानों के गरीब, यतीम तबके को न्याय मिलेगा। वक्फ बोर्ड के लोगों ने मुस्लिम व गरीब तबके के लोगों के अधिकार छीन लिए थे, उनकी जमीनों पर लोग अवैध कब्जे कर रहे थे। अब उन लोगों को न्याय मिलेगा।"
यह जानना महत्वपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है। सीजेआई बी.आर. गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक इस्लाम का अभ्यास करने की अनिवार्यता वाले प्रावधान पर तब तक रोक लगा दी, जब तक कि संबंधित नियम नहीं बन जाते। इसके अलावा, अब कलेक्टर को प्रॉपर्टी विवाद पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं होगा।
अपने अंतरिम आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य वक्फ बोर्डों में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए, जबकि केंद्रीय वक्फ बोर्ड में चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।