क्या भारत का मछली उत्पादन पिछले 11 वर्षों में दोगुना होकर 195 लाख टन हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- भारत का मछली उत्पादन 195 लाख टन तक पहुँच गया है।
- पिछले 11 वर्षों में 140% की वृद्धि हुई है।
- झींगा उत्पादन में 270% की वृद्धि हुई है।
- सरकार ने 38,572 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
- नीली क्रांति ने मछुआरा समुदाय को सशक्त किया है।
नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस से पहले बुधवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारत का मछली उत्पादन वित्त वर्ष 2013-14 के 95.79 लाख टन से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 195 लाख टन हो गया है, जो केंद्र द्वारा शुरू की गई देश की 'नीली क्रांति' की सफलता को दर्शाता है।
बयान में कहा गया है कि पिछले 11 वर्षों में अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में 140 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो भारत के जल संसाधनों की ताकत और सरकार की साहसिक पहलों को दर्शाता है।
समुद्री खाद्य निर्यात ने एक बड़ी उपलब्धि के साथ 60,500 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर लिया है और झींगा निर्यात में भारत के वैश्विक नेतृत्व की पुष्टि करता है।
बयान के अनुसार, पिछले एक दशक में झींगा उत्पादन में 270 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे लाखों रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं और देश के मछुआरा समुदाय को सशक्त किया है।
मत्स्य पालन क्षेत्र में बदलाव लाने में सरकार हमेशा अग्रणी रही है और 2015 से अब तक मत्स्य पालन क्षेत्र में 38,572 करोड़ रुपए का संचयी निवेश किया गया है।
मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय 10 जुलाई को भुवनेश्वर स्थित आईसीएआई-केंद्रीय मीठाजल जलीय कृषि संस्थान (सीआईएफए) में 'राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस 2025' मना रहा है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह, राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल और जॉर्ज कुरियन भी शामिल होंगे।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री मत्स्य पालन से जुड़ी कई प्रमुख पहलों का शुभारंभ करेंगे। इनमें नए मत्स्य पालन क्लस्टरों की घोषणा, आईसीएआर ट्रेनिंग कैलेंडर का विमोचन और सीड सर्टिफिकेशन तथा हैचरी संचालन संबंधी दिशानिर्देशों को पेश करना शामिल है।
केंद्रीय मंत्री पारंपरिक मछुआरों, सहकारी समितियों/एफएफपीओ, केसीसी कार्डधारकों और उभरते मत्स्य पालन स्टार्टअप्स सहित मत्स्य पालन लाभार्थियों को भी सम्मानित करेंगे।
राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस उन मत्स्य कृषकों के अटूट समर्पण को श्रद्धांजलि है, जो भारत की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने, मछली-आधारित प्रोटीन की बढ़ती मांग को पूरा करने और ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।