क्या आरबीआई का एफआई इंडेक्स मार्च में 4.3 प्रतिशत बढ़कर 67 पर पहुंचा?

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क्या आरबीआई का एफआई इंडेक्स मार्च में 4.3 प्रतिशत बढ़कर 67 पर पहुंचा?

सारांश

आरबीआई के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि फाइनेंशियल इंक्लूजन इंडेक्स में 4.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वित्तीय सेवाओं के उपयोग और गुणवत्ता में सुधार को दर्शाता है। जानें, इस इंडेक्स के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • आरबीआई ने मार्च 2025 के लिए एफआई इंडेक्स 67 घोषित किया है।
  • यह पिछले वर्ष की तुलना में 4.3 प्रतिशत की वृद्धि है।
  • इंडेक्स में पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता में सुधार देखा गया है।
  • यह वित्तीय सेवाओं की पहुंच को दर्शाता है।
  • इंडेक्स का विकास वित्तीय शिक्षा के प्रयासों का परिणाम है।

मुंबई, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यह घोषणा की है कि देश का फाइनेंशियल इंक्लूजन इंडेक्स (एफआई इंडेक्स) मार्च 2025 में 67 पर पहुंच गया है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 4.3 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

केंद्रीय बैंक के अनुसार, मार्च 2024 में यह इंडेक्स 64.2 पर था।

आरबीआई ने एक प्रेस रिलीज में बताया, "मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए इंडेक्स संकलित किया गया है। मार्च 2025 के लिए एफआई-इंडेक्स का मूल्य 67 है, जबकि मार्च 2024 में यह 64.2 था। इसमें सभी उप-सूचकांकों जैसे पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता में वृद्धि देखी गई है।"

एफआई-इंडेक्स आरबीआई द्वारा विकसित एक मापक है, जो यह दिखाता है कि देश भर में लोगों तक वित्तीय सेवाएं कितनी अच्छी तरह पहुंच रही हैं।

यह बैंकिंग, बीमा, निवेश, पेंशन और डाक सेवाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों के आंकड़ों का उपयोग कर फाइनेंशियल इंक्लूजन के स्तर को दर्शाता है।

यह इंडेक्स 0 से 100 तक होता है, जहां 0 का अर्थ है पूर्ण वित्तीय बहिष्करण और 100 का अर्थ है पूर्ण वित्तीय समावेशन।

आरबीआई के अनुसार, इस वर्ष के इंडेक्स में सुधार मुख्यतः वित्तीय सेवाओं के उपयोग और गुणवत्ता में बेहतर प्रदर्शन के कारण हुआ है।

इससे स्पष्ट होता है कि न केवल अधिक लोग वित्तीय उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं, बल्कि वे बेहतर सेवा गुणवत्ता का भी लाभ उठा रहे हैं।

आरबीआई ने सकारात्मक परिणामों के लिए वित्तीय शिक्षा और जागरूकता अभियानों में चल रहे प्रयासों को भी श्रेय दिया।

फाइनेंशियल इंक्लूजन इंडेक्स साल में एक बार प्रकाशित होता है और इसे पहली बार अगस्त 2021 में पेश किया गया था, जिसमें मार्च 2021 को समाप्त होने वाले वर्ष के आंकड़े शामिल थे।

यह इंडेक्स तीन मुख्य मापदंडों पर आधारित है: पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता, जिनका अलग-अलग भार है, जैसे पहुंच 35 प्रतिशत, उपयोग 45 प्रतिशत और गुणवत्ता 20 प्रतिशत

आरबीआई ने सरकार और क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से इस इंडेक्स को विकसित किया है ताकि वित्तीय प्रणाली की समग्रता का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जा सके।

एफआई-इंडेक्स में नवीनतम वृद्धि भारत भर में लोगों के लिए वित्तीय सेवाओं को अधिक सुलभ और उपयोगी बनाने की दिशा में निरंतर प्रगति को दर्शाती है।

Point of View

यह देखना महत्वपूर्ण है कि आरबीआई के द्वारा प्रस्तुत फाइनेंशियल इंक्लूजन इंडेक्स में वृद्धि का अर्थ है कि हमारी सरकार और वित्तीय संस्थान लोगों को वित्तीय सेवाओं का लाभ पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। यह न केवल आर्थिक विकास का संकेत है, बल्कि हमारे समाज में वित्तीय जागरूकता बढ़ाने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

एफआई इंडेक्स क्या है?
एफआई इंडेक्स एक मापक है जो यह दर्शाता है कि वित्तीय सेवाएं लोगों तक कितनी अच्छी तरह पहुंच रही हैं।
आरबीआई द्वारा एफआई इंडेक्स कब जारी किया जाता है?
यह इंडेक्स साल में एक बार जारी किया जाता है।
एफआई इंडेक्स के मापदंड क्या हैं?
यह इंडेक्स पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता पर आधारित होता है।
इंडेक्स में सुधार के मुख्य कारण क्या हैं?
इंडेक्स में सुधार का मुख्य कारण वित्तीय सेवाओं का बेहतर उपयोग और गुणवत्ता है।
इंडेक्स का मूल्य 0 से 100 के बीच कैसे होता है?
इंडेक्स 0 का अर्थ पूर्ण वित्तीय बहिष्करण और 100 का अर्थ पूर्ण वित्तीय समावेशन है।