क्या भारत के परिवहन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में 2025 की पहली छमाही में डील वैल्यू 85 प्रतिशत बढ़ी?

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क्या भारत के परिवहन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में 2025 की पहली छमाही में डील वैल्यू 85 प्रतिशत बढ़ी?

सारांश

भारत के परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में 2025 की पहली छमाही में डील वैल्यू 609.7 मिलियन डॉलर तक पहुँच गई है, जो 2024 की तुलना में 85 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है। यह आंकड़ा निवेशकों के विश्वास और डिजिटल लॉजिस्टिक्स में बदलाव को भी स्पष्ट करता है। आइए जानते हैं इस वृद्धि के पीछे के कारण।

Key Takeaways

  • डील वैल्यू में 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • ईकॉम एक्सप्रेस का अधिग्रहण महत्वपूर्ण रहा है।
  • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन हो रहा है।
  • जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
  • भारतीय निर्यातकों को प्रीमियम का भुगतान करना पड़ रहा है।

नई दिल्ली, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारत के परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र ने 2025 की पहली छमाही में अविस्मरणीय वृद्धि देखी, जिसमें कुल डील वैल्यू 609.7 मिलियन डॉलर तक पहुँच गई, जो कि 2024 की पहली छमाही की तुलना में 85 प्रतिशत की अत्यधिक वृद्धि को दर्शाती है।

ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट के अनुसार, डील वॉल्यूम में 16 से 25 तक का उल्लेखनीय इजाफा हुआ है, जो निवेशकों के मजबूत विश्वास और क्षेत्र के विकास में निरंतर रुचि को दर्शाता है।

भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र स्थिर मांग, विकसित होते कॉस्ट स्ट्रक्चर और सस्टेनेबिलिटी पर बढ़ते जोर के साथ एक गतिशील चरण में है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि माल ढुलाई और सर्विसिंग की बढ़ती लागत मार्जिन पर दबाव डाल रही है, फिर भी इन्वेंट्री मूवमेंट मजबूत बना हुआ है।

यह क्षेत्र डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और कम उत्सर्जन वाली सुविधाओं में महत्वपूर्ण निवेश कर रहा है, साथ ही लागत कम करने और टर्नअराउंड समय में सुधार के लिए नीतिगत सहायता प्राप्त कर रहा है।

2025 की दूसरी तिमाही में विलय और अधिग्रहण (एमएंडए) के मूल्यों में उछाल डेल्हीवरी द्वारा ईकॉम एक्सप्रेस के अधिग्रहण जैसे ऐतिहासिक सौदों के कारण देखा गया।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्राइवेट इक्विटी निवेशकों ने स्मार्टशिफ्ट (पोर्टर), रूटमैटिक और सेल्सियस लॉजिस्टिक्स जैसी डिजिटल-फर्स्ट लॉजिस्टिक्स कंपनियों का समर्थन करना जारी रखा है, जो लास्ट-माइल और इंट्रा-शहर डिलीवरी में दक्षता ला रहे हैं।

चीन में बंदरगाह की भीड़ और कंटेनर की कमी के कारण प्रमुख ट्रांस-पैसिफिक और इंट्रा-एशिया मार्गों पर माल ढुलाई दरों में 28 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।

पूर्वी एशिया में कंटेनरों की भरमार के कारण दक्षिण एशिया में उपलब्धता कम हो गई है, जिसके कारण भारतीय निर्यातकों को गारंटीकृत स्लॉट के लिए प्रीमियम का भुगतान करना पड़ रहा है।

रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री जलवायु परिवर्तन से निपटने में अग्रणी है, जिसमें सस्टेनेबिलिटी तेजी से नियामक आवश्यकता से व्यवसायिक अनिवार्यता में बदल रही है।

कॉर्पोरेट रणनीतियों में ईएसजी-से जुड़े लॉजिस्टिक्स को शामिल करने से निवेशकों, उपभोक्ताओं और नियामकों के साथ सस्टेनेबिलिटी की साख बढ़ेगी। अगले पांच से सात वर्षों में, भारत के हेवी-ड्यूटी ट्रक बेड़े का एक-तिहाई हिस्सा एलएनजी में परिवर्तित होने की उम्मीद है और कई निजी कंपनियों ने पहले ही स्वच्छ विकल्प अपनाना शुरू कर दिया है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत का परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र विकास के एक महत्वपूर्ण दौर में है। यह न केवल देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान दे रहा है, बल्कि वैश्विक मानकों के अनुरूप भी खुद को ढाल रहा है। सस्टेनेबिलिटी और डिजिटल परिवर्तन के साथ, यह क्षेत्र भविष्य में निवेशकों और उपभोक्ताओं के लिए और भी आकर्षक बन सकता है।
NationPress
06/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में डील वैल्यू में वृद्धि का क्या कारण है?
भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में डील वैल्यू की वृद्धि का मुख्य कारण निवेशकों का मजबूत विश्वास और डिजिटल-फर्स्ट लॉजिस्टिक्स कंपनियों का समर्थन है।
डिजिटल-फर्स्ट लॉजिस्टिक्स कंपनियों का क्या महत्व है?
डिजिटल-फर्स्ट लॉजिस्टिक्स कंपनियाँ लास्ट-माइल और इंट्रा-शहर डिलीवरी में दक्षता लाने में मदद करती हैं, जिससे ग्राहक सेवाओं में सुधार होता है।
क्या जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में कोई कदम उठाए जा रहे हैं?
हाँ, लॉजिस्टिक्स क्षेत्र जलवायु परिवर्तन से निपटने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और सस्टेनेबिलिटी को व्यवसायिक अनिवार्यता में बदलने के प्रयास कर रहा है।