क्या केंद्र ने डीएलआई योजना के तहत 23 चिप डिजाइन परियोजनाओं को मंजूरी दी?

सारांश
Key Takeaways
- 23 चिप डिजाइन परियोजनाएँ मंजूर हुई हैं।
- वर्वेसेमी जैसी कंपनियाँ आत्मनिर्भरता में योगदान कर रही हैं।
- सरकार की डीएलआई योजना से इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।
- सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
- स्वदेशी चिप्स का विकास हो रहा है।
नई दिल्ली, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने सेमीकंडक्टर डिजाइन क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए अपने प्रयासों के तहत डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना के तहत 23 चिप-डिजाइन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने शुक्रवार को इस संबंध में एक बयान जारी किया।
मंत्रालय के अनुसार, घरेलू स्टार्टअप और एमएसएमई द्वारा संचालित इन परियोजनाओं को निगरानी कैमरे, एनर्जी मीटर, माइक्रोप्रोसेसर आईपी और नेटवर्किंग एप्लीकेशन जैसे क्षेत्रों के लिए स्वदेशी चिप्स और सिस्टम-ऑन-चिप (एसओसी) समाधान विकसित करने का समर्थन प्राप्त हो रहा है।
बयान में कहा गया है कि कुल 72 कंपनियों को अपनी चिप डिजाइन परियोजनाओं के लिए इंडस्ट्री-स्टैंडर्ड इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन (ईडीए) टूल्स तक पहुँच प्राप्त हुई है।
इनमें से फैबलेस सेमीकंडक्टर कंपनी, वर्वेसेमी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स ने भारत की सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता को गति देने और वैश्विक नवाचार को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किए गए एडवांस्ड इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) के अपने आगामी पोर्टफोलियो की घोषणा की।
2017 में स्थापित, वर्वेसेमी उन पहले भारतीय कंपनियों में से एक है जो सेमीकंडक्टर बौद्धिक संपदा (आईपी) का वैश्विक स्तर पर निर्यात करती है और इसकी मालिकाना मशीन लर्निंग-संचालित एनालॉग चेन आईपी अग्रणी अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं के उत्पादों में अंतर्निहित हैं।
मंत्रालय ने कहा कि सरकार की डीएलआई योजना और चिप्स टू स्टार्टअप (सी2एस) कार्यक्रम के तहत स्वीकृत कंपनियों के पहले समूह में शामिल, वर्वेसेमी भारत में डिजाइन किए गए चिप्स विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो आत्मनिर्भरता को मजबूत करते हैं और नवाचार को बढ़ावा देते हैं।
वर्वेसेमी के आईसी एम्बेडेड मशीन लर्निंग द्वारा संचालित हैं, जो सेल्फ-हीलिंग सिस्टम, विफलता-सुरक्षित विश्वसनीयता और बेहतर निर्माण क्षमता को सक्षम बनाते हैं। यह सफलता प्रदर्शन, ऊर्जा दक्षता और सटीकता को पारंपरिक सीमाओं से परे बढ़ाती है, जिससे वर्वेसेमी चिप्स अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और अधिक कुशल बनते हैं।
वर्वेसेमी के संस्थापक और सीईओ राकेश मलिक ने कहा, "ये नवाचार भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "रणनीतिक और उपभोक्ता बाजारों के लिए हाई-परफोर्मेंस वाले भारत में निर्मित आईसी का निर्माण कर हम न केवल आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि वैश्विक सेमीकंडक्टर स्टेज में अग्रणी बनने की भारत की क्षमता का भी प्रदर्शन कर रहे हैं।"
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ग्रुप कोऑर्डिनेटर (आरएंडडी) सुनीता वर्मा ने कहा, "भारत की महत्वाकांक्षा सेमीकंडक्टर डिजाइन में ग्लोबल लीडर बनने की है और हम एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर रहे हैं, जहां दुनिया के हर डिवाइस में एक डिजाइन-इन-इंडिया चिप हो।"