क्या तंबाकू युवाओं के लिए 'साइलेंट किलर' बन रहा है? विशेषज्ञों की चेतावनी

सारांश
Key Takeaways
- तंबाकू का सेवन कैंसर का खतरा बढ़ाता है।
- युवाओं में तंबाकू के सेवन की दर चिंताजनक है।
- स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जागरूकता कार्यक्रम की मांग की है।
- तंबाकू के नए विकल्पों पर चर्चा चल रही है।
- सरकार को कानूनों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि सिगरेट, बीड़ी और अन्य तंबाकू उत्पाद भारत के युवाओं के लिए एक गंभीर संकट बनते जा रहे हैं। इनसे स्वास्थ्य को इतनी तेजी से नुकसान होता है कि मरीज सही समय पर इसका अनुमान भी नहीं लगा पाता। ये उत्पाद फेफड़े, मुंह और गले के कैंसर का खतरा बढ़ा रहे हैं।
विशेषज्ञों ने तंबाकू के खिलाफ जंग को तेज करने की मांग की है, ताकि युवाओं को इसके खतरों से बचाया जा सके।
साल 2019 के ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के अनुसार, 13-15 वर्ष की आयु के 8.5 प्रतिशत छात्र तंबाकू का सेवन करते हैं, जो हर साल 13 लाख मौतों का कारण बनता है। विशेषज्ञों का कहना है कि 90 प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर के मामले तंबाकू के सेवन से जुड़े हैं। इस खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन डॉ. नरेंद्र सैनी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया, "मेरे अनुभव में 17 साल की उम्र के मरीज भी तंबाकू से होने वाली बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। हमें रोकथाम, नियमन और जागरूकता पर ध्यान देना होगा।"
विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान में तंबाकू के नए विकल्पों पर ज्यादा चर्चा हो रही है, जबकि तंबाकू जैसे गुटखा और खैनी से 25 साल से कम उम्र के युवाओं में मुंह और गले का कैंसर बढ़ रहा है।
पद्म श्री पुरस्कार विजेता और एम्स के पूर्व प्रोफेसर डॉ. चंद्रकांत पांडव ने कहा, "पारंपरिक तंबाकू का युवाओं पर प्रभाव चिंताजनक है। हमें सिगरेट, बीड़ी और चबाने वाले तंबाकू पर ध्यान केंद्रित करना होगा।"
स्कूलों और ग्रामीण इलाकों में तंबाकू का सेवन बढ़ रहा है, क्योंकि इसकी बिक्री पर नियंत्रण कमजोर है। विशेषज्ञों ने स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम, सामुदायिक अभियान और मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करने की मांग की है।
पल्मोनरी मेडिसिन सलाहकार डॉ. पवन गुप्ता ने बताया, "पारंपरिक तंबाकू का असर कम उम्र में शुरू होकर जीवन भर रहता है। हम रोजाना मुंह के कैंसर, फेफड़ों की बीमारियों और हृदय रोगों के मरीज देखते हैं, जो किशोरावस्था में तंबाकू का सेवन शुरू करते हैं।"
विशेषज्ञों ने सरकार, स्कूलों और समुदायों से एकजुट होकर तंबाकू की आपूर्ति और मांग दोनों को कम करने की रणनीति बनाने का आह्वान किया है, ताकि युवाओं को इस खतरे से बचाया जा सके।