क्या '19 नवंबर' का दिन कर्णम मल्लेश्वरी के लिए ऐतिहासिक बन गया?
सारांश
Key Takeaways
- कर्णम मल्लेश्वरी ने 1995 में नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।
- उन्होंने ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा।
- कर्णम ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पुरस्कार जीते।
- उन्होंने युवा वेटलिफ्टर्स को मार्गदर्शन देने के लिए फाउंडेशन स्थापित किया।
- उनका संघर्ष और सफलता भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय खेल इतिहास में 19 नवंबर का दिन एक विशेष यादगार बन गया है। वर्ष 1995 में, इसी दिन, महिला वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी ने चीन के ग्वांगझू में आयोजित विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में 113 किलोग्राम वजन उठाकर 'क्लीन एंड जर्क' में नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया था।
कर्णम मल्लेश्वरी, जिन्हें लोग 'आयरन लेडी' के नाम से भी जानते हैं, ने केवल 20 वर्ष की उम्र में 54 किलोग्राम भार वर्ग में कुल 202.5 किलोग्राम वजन उठाया और सुनहरा पदक जीता। इस प्रतियोगिता में अन्य सात भार वर्गों में चीनी वेटलिफ्टर विजयी रहे। इससे पहले, 1994 में भी कर्णम ने इस्तांबुल में विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।
1 जून 1975 को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के वोसावनिपेटा गांव में जन्मी कर्णम मल्लेश्वरी ने अपनी बहन के प्रेरणा से वेटलिफ्टिंग का सफर शुरू किया। उनके पिता ने कॉलेज स्तर पर फुटबॉल खेला था, जिससे बेटियों ने भी खेलों में करियर बनाने की प्रेरणा ली। महज 13 वर्ष की उम्र में कर्णम ने वजन उठाना आरंभ किया।
1994 और 1998 में एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल से चूकने के बाद, उन्होंने सिडनी ओलंपिक की तैयारी शुरू की। अंततः, 2000 के सिडनी ओलंपिक में उन्होंने इतिहास रचा। उन्होंने स्नैच में 110 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 130 किलोग्राम उठाकर कुल 240 किलोग्राम के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता, और वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
कर्णम मल्लेश्वरी ने 2002 में कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को एक और पदक दिलाने की तैयारी की, लेकिन उनके पिता का निधन उन्हें झकझोर गया।
2004 में ग्रीस में हुए ओलंपिक गेम्स में वह भाग लीं, लेकिन दुर्भाग्यवश पदक नहीं जीत सकीं। कुछ समय बाद उन्होंने अपने करियर से संन्यास लेने का निर्णय लिया।
कर्णम को वेटलिफ्टिंग में उत्कृष्टता के लिए 1994 में 'अर्जुन पुरस्कार' और 1999 में 'राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। इसी वर्ष, उन्होंने 'पद्म श्री' भी प्राप्त किया।
कर्णम ने 1997 में वेटलिफ्टर राजेश त्यागी से विवाह किया। संन्यास के बाद, उन्होंने कर्णम मल्लेश्वरी फाउंडेशन की स्थापना की, जो अनेक युवा वेटलिफ्टर्स को उनके सपने साकार करने का अवसर देती है।