क्या एशेज 2005 ने इंग्लैंड को लगातार 8 सीरीज हारने के बाद जीत का अनुभव कराया?
सारांश
Key Takeaways
- एशेज 2005 में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर 8 साल की हार का सिलसिला तोड़ा।
- इस सीरीज में एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- इंग्लैंड ने पहले टेस्ट में हार के बाद शानदार वापसी की।
- सीरीज का अंतिम टेस्ट ड्रा रहा, लेकिन इंग्लैंड ने सीरीज अपने नाम की।
- इस जीत ने इंग्लैंड के क्रिकेट को नई पहचान दी।
नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। एशेज सीरीज टेस्ट क्रिकेट की सबसे रोमांचक प्रतियोगिता मानी जाती है। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच हर दो साल में आयोजित होने वाली इस सीरीज का इंतजार दुनिया भर के क्रिकेट प्रशंसकों को होता है। 1882-83 से खेली जा रही इस सीरीज का आगामी संस्करण (2025-26) पर्थ में 21 नवंबर से शुरू होगा। सीरीज की शुरुआत से पहले हम एशेज 2005 पर एक नजर डालते हैं। इंग्लैंड ने लगातार 8 एशेज हारने के बाद 2005 में अपनी धरती पर जीत हासिल कर ऑस्ट्रेलिया के विजय रथ को रोका था।
इस सीरीज में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच लगातार प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है। अक्सर, दोनों देश अपनी जमीन पर एक-दूसरे को हराते हैं। एशेज 1986-87 में ऑस्ट्रेलिया में खेली गई, जिसमें इंग्लैंड ने 2-1 से जीत हासिल की थी। यह जीत इंग्लैंड के लिए साहसिक और यादगार थी, लेकिन इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड के लिए एशेज में जीत को लगभग असंभव बना दिया। सीरीज चाहे ऑस्ट्रेलिया में हो या इंग्लैंड में, विजेता हमेशा ऑस्ट्रेलिया ही रहता था।
1989, 1990-91, 1993, 1994-95, 1997, 1998-99, 2001, 2002-03 तक लगातार 8 बार ऑस्ट्रेलिया ने एशेज में इंग्लैंड को हराया। इंग्लैंड एक ऐसे कप्तान और टीम की तलाश में था, जो उसे एशेज में जीत दिलाकर उसकी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस दिला सके।
यह अवसर 2005 में आया।
2005 में 5 टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए रिकी पोंटिंग की कप्तानी वाली ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड पहुंची। माइकल वॉन की कप्तानी वाली इंग्लैंड अपनी धरती पर एशेज का खिताब वापस पाने के लिए उत्सुक थी। लेकिन लॉर्ड्स में खेले गए पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने 239 रन से जीत हासिल की। इस हार के बाद इंग्लैंड पर फिर से सीरीज हारने का खतरा मंडराने लगा।
दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड ने जोरदार वापसी की और बर्मिंघम में खेले गए रोमांचक मैच में ऑस्ट्रेलिया को 2 रन से हराकर सीरीज को 1-1 से बराबर कर दिया।
मैनचेस्टर में खेला गया तीसरा मुकाबला ड्रॉ रहा।
नॉटिंघम में खेले गए चौथे टेस्ट को 3 विकेट से जीतकर इंग्लैंड ने सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली।
द ओवल में खेला गया अंतिम टेस्ट ड्रा रहा और इस तरह इंग्लैंड ने सीरीज को 2-1 से अपने नाम कर लिया।
इंग्लैंड के लिए इस सीरीज में एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने गेंद और बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया। फ्लिंटॉफ ने 402 रन बनाते हुए 24 विकेट लिए। इंग्लैंड के लिए केविन पीटरसन ने 473 रन और सलामी बल्लेबाज मार्कस ट्रेस्कोथिक ने 431 रन बनाए। एंड्रयू स्ट्रॉस ने 393 और कप्तान माइकल वॉन ने 326 रन बनाकर इस ऐतिहासिक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
40 विकेट लेने वाले ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉर्न और एंड्रयू फ्लिंटॉफ को प्लेयर ऑफ द सीरीज का खिताब मिला।