क्या पंचकूला में खेल महाकुंभ का आगाज़ हुआ है? 3 हजार से अधिक खिलाड़ी ले रहे हैं भाग

सारांश
Key Takeaways
- पंचकूला में खेल महाकुंभ का आयोजन २४-२६ सितंबर को हो रहा है।
- इसमें ३,००० से अधिक खिलाड़ी भाग ले रहे हैं।
- खेल महाकुंभ का उद्देश्य खेल भावना का विकास करना है।
- हरियाणा खेलों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- खेल महाकुंभ युवाओं को प्रेरित करने का एक मंच है।
पंचकूला, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सेक्टर ३ ताऊ देवीलाल स्टेडियम में बुधवार को खेल महाकुंभ के दूसरे चरण का शुभारंभ हुआ। यह खेल महाकुंभ तीन दिनों तक चलने वाला है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस महाकुंभ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ खेल मंत्री गौरव गौतम और अन्य खेल विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।
खेल महाकुंभ का आयोजन २४-२६ सितंबर के बीच किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय महाकुंभ में राज्य के ३,००० से ज्यादा खिलाड़ी भाग ले रहे हैं।
द्वितीय चरण में कुश्ती, टेबल टेनिस, जूडो, कराटे, वॉलीबॉल (महिला एवं पुरुष वर्ग) और पुरुष वर्ग की हॉकी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।
हरियाणा में खेल महाकुंभ २०२५ का आयोजन दो चरणों में किया जा रहा है। इसकी शुरुआत २ अगस्त को ताऊ देवी लाल स्टेडियम से हुई थी। इस प्रतियोगिता में २६ विभिन्न खेलों में राज्य के १५,४१० से ज्यादा खिलाड़ियों ने २,१०० से अधिक पदकों के लिए प्रतिस्पर्धा की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य २०३६ के ओलंपिक खेलों में भारत को एक खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करना है। हरियाणा इस दिशा में सक्रियता से कार्य कर रहा है।
भारत ने पेरिस ओलंपिक २०२४ में ६ पदक जीते, जिनमें से ५ पदक हरियाणा के खिलाड़ियों ने अपने नाम किए।
हरियाणा पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सबसे अधिक नकद पुरस्कार देने वाला राज्य है। यहां राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले और पदक जीतने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है।
खेल महाकुंभ का मुख्य उद्देश्य खेल भावना का विकास करना है। इसके माध्यम से टैलेंटेड खिलाड़ियों को मंच प्रदान किया जा रहा है, ताकि वे युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकें। हरियाणा को खेलों की नर्सरी माना जाता है, जहां के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुके हैं। खेल गतिविधियों में भाग लेने से युवा शारीरिक और मानसिक रूप से फिट बनते हैं, साथ ही समाज में समानता और समावेशिता को बढ़ावा मिलता है।