क्या तिलक वर्मा ने अपने बचपन के कोच को श्रेय दिया?

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क्या तिलक वर्मा ने अपने बचपन के कोच को श्रेय दिया?

सारांश

भारत की एशिया कप जीत के नायक तिलक वर्मा ने अपने बचपन के कोचों की महत्ता को स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार कोचों के समर्थन ने उन्हें आत्मविश्वास दिया और उन्हें आगे बढ़ने में मदद की। जानें उनके प्रेरणादायक सफर के बारे में।

Key Takeaways

  • तिलक वर्मा का समर्थन उनके बचपन के कोचों ने किया।
  • कोचों का मार्गदर्शन खेल में आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  • एशिया कप जीतने के बाद तिलक ने अपने कोचों को श्रेय दिया।
  • खेल के दौरान दबाव को संभालने की कला महत्वपूर्ण है।
  • बचपन की एकेडमी से मिली ट्रेनिंग ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।

हैदराबाद, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एशिया कप फाइनल में भारत की जीत के हीरो तिलक वर्मा ने अपने बचपन के कोचों का आभार व्यक्त किया है। इस बल्लेबाज ने बताया कि उन्होंने जिस एकेडमी में बचपन में प्रशिक्षण लिया था, वहां खेलकर उन्हें आगे बढ़ने का आत्मविश्वास मिला है।

एशिया कप खिताब जीतने के बाद तिलक वर्मा अपने देश लौट आए हैं। मंगलवार को उन्होंने पत्रकारों से कहा, "आज हर कोई मेरे नाम को जानता है। सभी को पता है कि तिलक वर्मा कौन हैं, लेकिन जब कोई मुझे नहीं जानता था, तब मेरे कोच मेरे साथ थे। कोचों ने मुझे भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने बचपन से ही मेरे करियर को आकार देने में मेरी मदद की है।"

उन्होंने आगे कहा, "मैंने लीगला क्रिकेट एकेडमी से शुरुआत की। जब भी मैं वहां प्रैक्टिस करता हूं, मुझे अच्छा प्रदर्शन करने का आत्मविश्वास मिलता है। मुझे पता है कि अगर मैं यहां हूं, तो मुझे आत्मविश्वास मिलेगा।"

तिलक वर्मा का मानना है कि बचपन से मिले कोचों के सहयोग के कारण आज उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण सफलता मिली है। उन्होंने कहा, "मेरे कोच सलाम बयाश सर और पृथ्वी सर मेरे लिए सब कुछ हैं। उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया है। मुझे यह मौका देने के लिए हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन और बीसीसीआई का विशेष धन्यवाद।"

तिलक वर्मा ने पाकिस्तान के खिलाफ रविवार को खिताबी मुकाबले में 53 गेंदों का सामना करते हुए 4 छक्कों और 3 चौकों के साथ 69 रन की नाबाद पारी खेली थी।

पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मुकाबले में अपनी पारी के बारे में पूछे जाने पर तिलक वर्मा ने कहा, "यह सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक है। मैं चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई पारी को भी बहुत महत्व देता हूं, लेकिन निश्चित रूप से एशिया कप में खेलना, वह भी दबाव में पाकिस्तान के खिलाफ, एक शानदार अनुभव है। इसलिए मैं अपने दो शतकों की तुलना में इसे अपनी सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक मानूंगा। यह अब तक का मेरा सबसे अच्छा अनुभव है।"

उन्होंने कहा, "मैं दबाव में शांत था। जानता था कि मैं मैच जीत जाऊंगा। मैंने मैच पर ध्यान केंद्रित किया। अपने देश के बारे में सोचा और एक-एक गेंद पर ध्यान दिया। मैंने खुद पर भरोसा किया और यह अपने देश के लिए किया। मुझे इस पर गर्व है।"

खिताबी मुकाबले में पाकिस्तान को 19.1 ओवरों में 146 रन पर समेटने के बाद भारत ने 19.4 ओवरों में पांच विकेट के साथ मैच अपने नाम किया।

Point of View

मैं मानता हूं कि तिलक वर्मा का यह अनुभव सभी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह दिखाता है कि एक अच्छे कोच का महत्व खेल के क्षेत्र में कितना होता है। देश में युवा क्रिकेटरों को अपने कोचों का समर्थन और मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए ताकि वे भी अपने सपनों को साकार कर सकें।
NationPress
30/09/2025

Frequently Asked Questions

तिलक वर्मा ने अपने कोचों का आभार क्यों व्यक्त किया?
तिलक वर्मा ने कहा कि उनके कोचों ने बचपन से ही उनके करियर को आकार देने में मदद की है और उन्हें आत्मविश्वास दिया।
तिलक वर्मा ने एशिया कप फाइनल में कितने रन बनाए?
तिलक वर्मा ने एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ 69 रन की नाबाद पारी खेली।