क्या आलोक नाथ हीरो बनने आए थे, लेकिन 'बाबूजी' बनकर छा गए?

सारांश
Key Takeaways
- आलोक नाथ का जन्म 10 जुलाई 1956 को खगड़िया, बिहार में हुआ।
- उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से थिएटर की शिक्षा ली।
- आलोक नाथ ने 'संस्कारी बाबूजी' के रूप में एक विशिष्ट पहचान बनाई।
- उनकी लोकप्रियता के पीछे संघर्ष और मेहनत है।
- दर्शकों ने उन्हें हमेशा 'संस्कारी बाबूजी' के रूप में ही पसंद किया।
मुंबई, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जब भी हम आलोक नाथ का नाम सुनते हैं, हमारे मन में एक संस्कारी बाबूजी का चित्र उभरता है। वह व्यक्ति जो अपने परिवार की देखभाल में हमेशा तत्पर रहता है, संस्कारों की महत्ता पर जोर देता है और बच्चों और बहुओं को सलीके से समझाता है। उनकी यह छवि बॉलीवुड और टीवी दोनों में इतनी गहरी हो गई है कि लोग उन्हें संस्कारी पिता के रूप में ही पहचानते हैं।
आलोक नाथ ने बहुत सी फिल्मों में ऐसे किरदार निभाए हैं कि लोग उन्हें असल जिंदगी में भी वही समझने लगे हैं। चाहे वह हम आपके हैं कौन, विवाह, या हम साथ साथ हैं जैसी फिल्में हों, या फिर बुनियाद और विदाई जैसे शो, आलोक नाथ ने अपने अभिनय से संस्कारी बाबूजी की छवि को अमर बना दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी असल जिंदगी और करियर की कहानी इस छवि से कितनी भिन्न है?
आलोक नाथ का जन्म 10 जुलाई 1956 को बिहार के खगड़िया जिले में हुआ। बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था। पढ़ाई में कम और अभिनय में ज्यादा दिलचस्पी रखने वाले आलोक ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया। वहां उन्होंने थिएटर सीखा और अपने हुनर को निखारा। मुंबई आकर उन्होंने हीरो बनने का सपना देखा।
1982 में उन्हें पहली बार फिल्म गांधी में छोटा सा रोल मिला, जिसके लिए उन्होंने 20,000 रुपए कमाए। उस समय उनके पिता की सालाना आय 10,000 रुपए थी। इस कमाई ने आलोक के परिवार को चौंका दिया और उनके अभिनय करियर में पिता का समर्थन मिलने लगा। उन्होंने मशाल, सारांश, और मोहरा जैसी फिल्मों में सहायक अभिनेता के रूप में काम किया।
आलोक नाथ ने 30 साल की उम्र में अपने से दोगुनी उम्र के पिता के किरदार निभाकर संस्कारी बाबूजी की छवि को मजबूत किया। 1988 में कयामत से कयामत तक में उनके पिता के किरदार ने दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके बाद मैंने प्यार किया में भाग्यश्री के पिता के रूप में उनकी छवि और भी पक्की हो गई।
उन्होंने अपने करियर में कई फिल्में कीं, जहां उन्होंने पिता, समधी या बुजुर्ग व्यक्ति का रोल अदा किया। उन्होंने हम आपके हैं कौन, विवाह, हम साथ साथ हैं, परदेस, और ताल जैसी फिल्मों में बाबूजी के किरदार निभाए। टीवी पर भी उन्होंने बुनियाद, रिश्ते, और सपना बाबुल का... बिदाई में पिता का रोल निभाकर लाखों दर्शकों का दिल जीता।
इसके बावजूद, आलोक नाथ अपनी संस्कारी बाबूजी की छवि से बाहर निकलना चाहते थे। उन्होंने बोल राधा बोल, षड्यंत्र, और विनाशक जैसी फिल्मों में नकारात्मक भूमिकाएं अदा कीं। लेकिन दर्शकों ने उन्हें हमेशा संस्कारी बाबूजी के रूप में ही पसंद किया।
आलोक नाथ ने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों और 15 से अधिक टीवी शोज में काम किया है।