क्या अमरनाथ यात्रा के लिए दूसरा जत्था रवाना हुआ? तीर्थयात्रियों ने सुरक्षा व्यवस्था की तारीफ की

सारांश
Key Takeaways
- अमरनाथ यात्रा का दूसरा जत्था 5246 तीर्थयात्रियों के साथ रवाना हुआ।
- कड़ी सुरक्षा में तीर्थयात्री यात्रा कर रहे हैं।
- श्रद्धालुओं ने सरकार की व्यवस्थाओं की तारीफ की।
- यात्रा का समापन 9 अगस्त को होगा।
- तीर्थयात्री अकेले यात्रा न करें, सुरक्षा काफिले के साथ ही चलें।
जम्मू, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 36 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का एक और जत्था गुरुवार को जम्मू से घाटी की ओर रवाना हुआ। इस दूसरे जत्थे में 5246 तीर्थयात्री शामिल हैं, जिन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच जम्मू के कैनाल रोड स्थित भगवती नगर से घाटी के लिए भेजा गया। अधिकारियों ने बताया कि इन तीर्थयात्रियों में से 1993 यात्री बालटाल बेस कैंप जा रहे हैं, जबकि 3253 पहलगाम बेस कैंप की ओर बढ़ रहे हैं।
तीर्थयात्रियों ने 'बम बम भोले' और 'हर हर महादेव' के जयकारे लगाते हुए अपने यात्रा की शुरूआत की। बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए तीर्थयात्रियों में उत्साह देखा गया। उन्होंने सरकार द्वारा प्रदान की गई सुविधाओं और सुरक्षा व्यवस्थाओं की तारीफ की। तीर्थयात्रियों ने भारतीय सेना पर विश्वास जताया।
श्रद्धालुओं का कहना है कि सेना के जवानों ने उन्हें भगवती नगर तक बहुत अच्छे से पहुंचाया। केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से दी गई सुविधाएं शानदार हैं। दूसरे जत्थे में कुछ ऐसे तीर्थयात्री भी हैं जो पहली बार अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं। उन्होंने भी सुरक्षा के साथ-साथ यहां की सुविधाओं की प्रशंसा की।
श्रद्धालु न्यूज एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहते हैं कि वे खुश हैं, सरकार ने अच्छी व्यवस्थाएं की हैं। एक श्रद्धालु ने कहा कि वे 2019 से लगातार अमरनाथ यात्रा पर आ रहे हैं, और इस बार बहुत अच्छा लग रहा है। एक महिला ने सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां की व्यवस्थाओं को देखकर बहुत खुशी हुई।
एक श्रद्धालु ने कहा, "जब संवेदनशील समय था, जब आतंकवादी हमले होते थे, तब भी भक्त इस यात्रा के लिए आते थे। अब निर्भय होकर श्रद्धालु यहां आ रहे हैं।"
एक अन्य श्रद्धालु ने कहा, "पहले और अब की यात्रा में जमीन-आसमान का फर्क है। यहां दो-तीन गुना अधिक सुरक्षाकर्मियों की तैनाती है। पहले के मुकाबले चार गुना सुख-सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं।"
श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि वे केवल सुरक्षा काफिले के साथ ही जम्मू से घाटी की ओर यात्रा करें और अकेले न निकलें। अमरनाथ यात्रा 36 दिनों तक चलेगी और इस बार इसका समापन 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन के दिन होगा।