क्या ‘वंदे मातरम्’ केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि भारत की आत्मा का स्वर है?
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम् का सामूहिक गान मनोबल बढ़ाता है।
- यह गीत हमारे स्वतंत्रता संग्राम का एक अभिन्न हिस्सा है।
- सामूहिक गान से एकता और राष्ट्रभक्ति की भावना को प्रोत्साहन मिलता है।
- 150वीं वर्षगांठ का यह आयोजन हमारे सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का एक प्रयास है।
- देशवासियों को वंदे मातरम् की ऊर्जा से प्रेरित होना चाहिए।
नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर इस महान गीत के स्मरणोत्सव पर इसके पूर्ण संस्करण का अपने परिजनों के साथ सामूहिक गान करने का आग्रह किया।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि ‘वंदे मातरम्’ केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का स्वर है। अंग्रेजों के खिलाफ ‘वंदे मातरम्’ ने देश को एकजुट करके स्वतंत्रता की भावना को मजबूत किया। यह गीत क्रांतिकारियों में मातृभूमि के प्रति अटूट समर्पण, गर्व और बलिदान की भावना को प्रेरित करता रहा है। ‘वंदे मातरम्’ आज भी युवाओं में एकता, राष्ट्रभक्ति और नवऊर्जा का स्रोत बना हुआ है। इस अद्वितीय राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ पर आइए, इसके पूर्ण संस्करण का सामूहिक गान करें, ताकि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहे। वंदे मातरम्।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक्स पर लिखा कि वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ का यह अद्वितीय अवसर हमारे आत्मगौरव, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय पुनर्जागरण का प्रतीक है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा बनकर उभरा। स्वदेशी आंदोलन से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक, इस उद्घोष ने असंख्य क्रांतिकारियों में त्याग, एकता और राष्ट्रधर्म की ज्वाला प्रज्वलित की। वंदे मातरम्, वास्तव में, ‘भारत माता की जय’ का सर्वोच्च प्रतीक है।
सीएम ने आगे लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश “विकसित भारत” की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। वंदे मातरम् का यह अनंत राष्ट्र-प्रेम हमें ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना और सामूहिक संकल्प के साथ नए भारत के निर्माण के लिए प्रेरित कर रहा है। केंद्र सरकार द्वारा इस 150वीं वर्षगांठ को जन-उत्सव के रूप में मनाना, इसी गौरवशाली विरासत को जन-जन तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस ऐतिहासिक अवसर पर हम सब संकल्प लें कि वंदे मातरम् की यह ऊर्जा हमारे कर्म, चरित्र और राष्ट्र सेवा की दिशा को प्रकाशित करती रहे और हम 'विकसित भारत' के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं। वंदे मातरम्।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक्स पर लिखा कि पीएम मोदी के आह्वान पर गांव-गांव और जन-जन में वंदे मातरम् का अमर गीत गूंज रहा है। यह वह स्वर है जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को शक्ति दी। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित यह गीत करोड़ों भारतीयों के हृदय की धड़कन है और 150 वर्ष बाद भी यह राष्ट्रभक्ति तथा देशप्रेम की भावना को जिंदा रखता है।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर झूलते थे, उनके होठों पर यही गीत होता था। जब यह गीत जेलों की काल कोठरियों में गूंजता था, तो अंग्रेज भी कांप उठते थे। आज जब हम इस अमर स्वर के 150 वर्षों का उत्सव मना रहे हैं, तो गर्व और उत्साह की लहरें उठ रही हैं। यह गीत हमें याद दिलाता है कि राष्ट्र सर्वोपरि है। इसलिए हमें वंदे मातरम् को केवल गाना नहीं है, बल्कि उसे जीना है और इसे अपने कर्मों में समाहित करना है। आइए, इस 150वें वर्ष पर वंदे मातरम् के स्वर को जन-जन तक पहुंचाएं। उत्साह, एकता और राष्ट्रभक्ति के साथ इस अमर वंदना को उत्सव के रूप में मनाएं। भारत माता की जय।