क्या भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.5 प्रतिशत, 2026 में 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी? : एडीबी

सारांश
Key Takeaways
- भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2025 में 6.5% और 2026 में 6.7% रहने का अनुमान है।
- महंगाई दर इस वर्ष 3.8% और 2026 में 4% रहने की संभावना है।
- खाद्य मुद्रास्फीति में कमी से मुख्य महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिली है।
- अर्थव्यवस्था में अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक व्यापार अनिश्चितता जैसे जोखिम हैं।
- दक्षिण-पूर्व एशिया की अर्थव्यवस्थाएं प्रतिकूल व्यापार स्थितियों से प्रभावित होंगी।
नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने बुधवार को बताया कि भारत की जीडीपी 2025 में 6.5 प्रतिशत और 2026 में 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। इसका मुख्य कारण घरेलू मांग में मजबूती और मौद्रिक नीति में नरमी है।
एडीबी के बयान के अनुसार, इस वर्ष महंगाई 3.8 प्रतिशत और 2026 में 4 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित सीमा के अनुकूल है।
बयान में यह भी कहा गया है कि भारत में खाद्य मुद्रास्फीति में कमी ने मुख्य महंगाई को नियंत्रित करने में मदद की है। खाद्य मुद्रास्फीति के नकारात्मक होने के चलते उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति जून में घटकर 2.1 प्रतिशत पर आ गई, जो कि पिछले 77 महीनों में सबसे कम है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने हाल ही में कहा था कि इस वित्त वर्ष में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.4-6.7 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है, जिससे यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में मजबूत स्थिति में रहेगा।
हालांकि, एडीबी ने विकासशील एशिया और प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं के लिए अपने विकास पूर्वानुमानों को घटा दिया है। यह गिरावट उच्च अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक व्यापार अनिश्चितता के कारण हुई है, जिससे निर्यात में कमी आने की संभावना है।
एशियन डेवलपमेंट आउटलुक (एडीओ) जुलाई 2025 में एडीबी ने अनुमान जारी किया है कि इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाएं इस वर्ष 4.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेंगी, जो अप्रैल में जारी अनुमान से 0.2 प्रतिशत अंक कम है। वहीं, अगले वर्ष के लिए पूर्वानुमान 4.7 प्रतिशत से घटाकर 4.6 प्रतिशत कर दिया गया है।
अमेरिकी टैरिफ और व्यापार तनाव में वृद्धि से एशिया और प्रशांत क्षेत्र की विकास संभावनाओं को और नुकसान हो सकता है।
अन्य जोखिमों में संघर्ष और भू-राजनीतिक तनाव शामिल हैं, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकते हैं और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि कर सकते हैं, साथ ही पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के संपत्ति बाजार में अपेक्षा से अधिक गिरावट आ सकती है।
एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री अल्बर्ट पार्क ने कहा, "एशिया और प्रशांत क्षेत्र ने इस वर्ष लगातार चुनौतीपूर्ण बाहरी वातावरण का सामना किया है। लेकिन बढ़ते जोखिमों और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक दृष्टिकोण कमजोर हो गया है।"
एडीबी ने क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के लिए इस वर्ष 4.7 प्रतिशत और अगले वर्ष 4.3 प्रतिशत के विकास अनुमान को बनाए रखा है।
एडीबी का अब अनुमान है कि दक्षिण-पूर्व एशिया की अर्थव्यवस्थाएं बिगड़ते व्यापार स्थितियों और अनिश्चितता से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी। इस उप-क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाएं इस वर्ष 4.2 प्रतिशत और अगले वर्ष 4.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेंगी, जो प्रत्येक वर्ष के लिए अप्रैल के पूर्वानुमानों से लगभग आधा प्रतिशत कम है।