क्या भारत की चिप क्रांति में दस परियोजनाएं, डिजाइन नवाचार और 2 एनएम प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण हैं?

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क्या भारत की चिप क्रांति में दस परियोजनाएं, डिजाइन नवाचार और 2 एनएम प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण हैं?

सारांश

भारत की चिप क्रांति में दस परियोजनाएं, डिजाइन नवाचार और 2 एनएम प्रौद्योगिकी एक नई दिशा में अग्रसर हो रही हैं। यह यात्रा न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक है बल्कि वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाती है।

Key Takeaways

  • भारत में 2 एनएम चिप तकनीक का विकास हो रहा है।
  • कुल 10 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं।
  • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन में 76,000 करोड़ रुपए का निवेश है।
  • छात्रों का नवाचार तेजी से बढ़ रहा है।
  • भारत अब वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन रहा है।

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सेमीकंडक्टर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स को ऊर्जा देते हैं, जो स्मार्टफोन से लेकर उपग्रहों तक के उपकरणों के 'ब्रेन' के रूप में कार्य करते हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 16 सितंबर को बेंगलुरु में एआरएम के नए सेमीकंडक्टर डिजाइन कार्यालय का उद्घाटन किया, जो अगली पीढ़ी की 2 नैनोमीटर चिप तकनीक पर केंद्रित होगा। यह भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

2 एनएम चिप्स का महत्व: सेमीकंडक्टर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स के आवश्यक निर्माण खंड हैं जो एक मस्तिष्क की तरह कार्य करते हैं, जिससे उपकरणों को कार्य करने में मदद मिलती है। सेमीकंडक्टर सामग्री का उपयोग छोटे इलेक्ट्रॉनिक चिप्स के निर्माण में किया जाता है जो आधुनिक उपकरणों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करते हैं। यह चिप जानकारी को संग्रहीत, संसाधित और स्थानांतरित कर सकती है, जिससे उपकरणों को कार्य करने में मदद मिलती है।

प्रत्येक चिप में लाखों या अरबों माइक्रो-स्केल स्विच होते हैं जिन्हें ट्रांजिस्टर कहा जाता है, जो विद्युत संकेतों को नियंत्रित करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मस्तिष्क कोशिकाएं संदेश भेजती हैं। पतले चिप का मतलब है कम जगह में अधिक प्रोसेसिंग क्षमता। छोटे ट्रांजिस्टर अधिक दक्षता और कम बिजली की खपत को सक्षम बनाते हैं। ये राष्ट्रीय सुरक्षा, अंतरिक्ष खोज और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए रणनीतिक महत्व रखते हैं। भारत में पहली बार 2 एनएम का चिप डिजाइन किया जा रहा है; हम 7, 5 और 3 से अब 2 एनएम की ओर बढ़ रहे हैं। यह प्रौद्योगिकी एआई, मोबाइल कंप्यूटिंग और उच्च निष्पादन प्रणालियों में अगली पीढ़ी के उपकरणों की सहायता करेगी।

सेमीकंडक्टर तकनीक में भारत का सफर: इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के अंतर्गत अब छह राज्यों में स्वीकृत परियोजनाओं की कुल संख्या दस हो गई है, जिनका कुल निवेश 1.6 लाख करोड़ रुपए है। इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन में इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए 76,000 करोड़ रुपए का परिव्यय शामिल है।

मई 2025 में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नोएडा और बेंगलुरु में दो अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर डिजाइन सुविधाएं का उद्घाटन किया। ये भारत के पहले ऐसे केंद्र हैं जो उन्नत 3-नैनोमीटर चिप डिजाइन पर केंद्रित हैं। उन्होंने तब इस बात पर प्रकाश डाला था कि भारत ने पहले 7 एनएम और 5 एनएम डिजाइन बनाने में सफलता हासिल की थी और अब 3 एनएम तक पहुंचना नवाचार में एक नई सीमा को चिह्नित करता है। भारत अब 2 एनएम चिप प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ रहा है।

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में पिछले ग्यारह वर्षों में छह गुना वृद्धि हुई है, जिससे सेमीकंडक्टर की मांग में तेजी आई है।

भारत का बढ़ता इकोसिस्टम: डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना के तहत समर्थित घरेलू स्टार्टअप चिप डिजाइन में तेजी ला रहे हैं। 23 चिप डिजाइन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और 72 कंपनियां अब उन्नत डिजाइन उपकरणों का उपयोग करती हैं। 25 संस्थानों की टीमों द्वारा 28 चिप तैयार किए जाने के साथ छात्र नवाचार अब तेजी से बढ़ रहा है। 278 संस्थान और विश्वविद्यालय सेमीकंडक्टर डिजाइन और अनुसंधान में लगे हुए हैं, जो एक बड़ी प्रतिभा पूल का निर्माण कर रहे हैं।

वैश्विक संदर्भ: वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग का आकार 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत का घरेलू बाजार 2030 तक 100 से 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। वैश्विक उद्योग में ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका का प्रभुत्व है। ताइवान दुनिया के 60 प्रतिशत सेमीकंडक्टर और लगभग 90 प्रतिशत सबसे उन्नत चिप्स का उत्पादन करता है। आपूर्ति श्रृंखलाएं कुछ ही भौगोलिक क्षेत्रों तक सीमित होने के कारण, भारत वैश्विक विनिर्माण में विविधता लाने में एक भरोसेमंद और विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभर रहा है। भारत पहले चिप डिजाइनिंग और पैकेजिंग में अधिक रुचि रखता था, लेकिन कोविड-19 के दौरान चिप की कमी के बाद, भारत ने इनका निर्माण करने का फैसला किया। चार साल के भीतर ही हम एक मजबूत मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाने की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

भविष्य का दृष्टिकोण: भारत उपकरणों की असेंबली से आगे जाकर अब उन्नत डिजाइन और चिप निर्माण की ओर बढ़ रहा है। भारत में अब दुनिया के लिए चिप डिजाइन करने और बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। भविष्य में देश में बनने वाले 2 एनएम के चिप एक ऐसी उपलब्धि होगी जो तकनीकी आत्मनिर्भरता में एक निर्णायक कदम का प्रतिनिधित्व करेगी। यह प्रगति भारत के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूत करते हुए देश को वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में अग्रणी के रूप में स्थापित करती है।

वहीं, सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए 76,000 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ 'सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम' को मंजूरी दी है।

नई दिल्ली के यशोभूमि में आयोजित सेमीकॉन इंडिया 2025 के दूसरे दिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदर्शनी स्टालों का अवलोकन किया। उनके साथ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद भी मौजूद थे। अपने दौरे के दौरान, प्रधानमंत्री ने भारत की सेमीकंडक्टर महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में स्टार्टअप्स की महत्वपूर्ण भूमिका और भारतीय बौद्धिक संपदा (आईपी) सृजन के महत्व पर जोर दिया।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा न केवल तकनीकी विकास का प्रतीक है बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। हमें इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने की आवश्यकता है ताकि हम वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत कर सकें।
NationPress
22/10/2025

Frequently Asked Questions

भारत में 2 एनएम चिप तकनीक का क्या महत्व है?
2 एनएम चिप तकनीक से अधिक दक्षता और कम बिजली की खपत होती है, जो आधुनिक उपकरणों के लिए आवश्यक है।
भारत सेमीकंडक्टर उद्योग में कब से सक्रिय है?
भारत ने सेमीकंडक्टर उद्योग में हाल ही में तेजी लाई है, विशेषकर पिछले कुछ वर्षों में।
क्या भारत का सेमीकंडक्टर मिशन सफल हो रहा है?
जी हां, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत कई परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जो हमारे भविष्य को उज्जवल बनाएंगी।
भारत में चिप डिजाइनिंग के लिए कौन से स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं?
कई घरेलू स्टार्टअप्स डीएलआई योजना के तहत चिप डिजाइनिंग में कार्यरत हैं।
वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग का आकार क्या है?
वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग का आकार 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।