क्या भारत रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है: आधुनिक युद्धक वाहन और रक्षा उपकरण बनेंगे?

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क्या भारत रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है: आधुनिक युद्धक वाहन और रक्षा उपकरण बनेंगे?

सारांश

भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। नए स्वदेशी युद्धक वाहन और रक्षा उपकरण बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का विकास किया गया है। यह पहल भारतीय सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने में सहायक होगी।

Key Takeaways

  • भारत ने स्वदेशी तकनीकों का विकास किया है।
  • रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला है।
  • नए युद्धक वाहन और उपकरण बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई है।
  • डीआरडीओ ने उद्योग साझेदारों को तकनीक हस्तांतरित की है।
  • यह पहल भारतीय सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने रक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण तकनीकें खुद विकसित की हैं। अब इन तकनीकों के आधार पर सैन्य बलों के लिए नए प्लेटफार्म तैयार और निर्मित किए जाएंगे, जिनमें युद्धक वाहन भी शामिल हैं।

यहाँ खास बात यह है कि ये रक्षा उपकरण पूरी तरह से स्वदेशी होंगे और इन्हें भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित किया जाएगा। डीआरडीओ की एक प्रयोगशाला ने रक्षा उपकरणों से जुड़ी तकनीकों को इंडस्ट्री पार्टनर्स को सौंपी हैं। यह रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी पहल है, जिससे देश का सुरक्षा तंत्र मजबूत होगा और आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।

डीआरडीओ के अनुसार, रक्षा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (डीएमआरएल) ने उन्नत सामग्रियों में कई महत्वपूर्ण स्वदेशी तकनीकों का विकास किया है।

डीएमआरएल ने दो महत्वपूर्ण सामरिक प्रणालियों के लिए उन्नत घटक भी सौंपे हैं। इनमें एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमका) के लिए रीयर फिन रूट फिटिंग्स (आरएफआरएफ) और प्रलय मिसाइल के लिए उच्च-शक्ति वाले सिरेमिक रैडोम्स शामिल हैं।

एमका भारत द्वारा विकसित किया जा रहा एक पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसकी गति करीब 2500 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। यह सिंगल सीटर और डबल इंजन वाला मल्टीरोल स्वदेशी लड़ाकू विमान होगा।

यह विमान 10 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकेगा। एमका के लिए आरएफआरएफ का निर्माण पूरी तरह स्वदेशी तकनीकों पर आधारित है। इसे इंवेस्टमेंट कास्टिंग और क्लोज्ड-डाई हॉट हैमर फोर्जिंग के माध्यम से भारतीय उद्योगों द्वारा डीएमआरएल के सहयोग से किया गया है।

यह उन्नत एयरो-स्ट्रक्चरल घटकों की घरेलू विनिर्माण क्षमता में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। अब 62वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर, डीएमआरएल ने इन तकनीकों का सफलतापूर्वक हस्तांतरण उद्योग साझेदारों को किया है। डीआरडीओ के अनुसार, यह कदम देश में रणनीतिक प्लेटफार्मों के लिए अत्याधुनिक धातु और मिश्रित सामग्रियों की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।

रक्षा क्षेत्र से जुड़ी आपूर्ति की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

वार्षिकोत्सव समारोह में डीएमआरएल द्वारा जिन प्रमुख तकनीकों का हस्तांतरण किया गया, उनमें नौसेना और आर्मी से जुड़े महत्वपूर्ण उपकरण शामिल हैं। नौसैनिक उपयोग हेतु विभिन्न मोटाई वाली डीएमआर-249ए स्टील के निर्माण की तकनीक सौंपी गई है। इस तकनीक को सेल और जेएसडब्लू स्टील को स्थानांतरित किया गया है।

गौरतलब है कि नौसैनिक समुद्री जहाजों से लेकर विभिन्न समुद्री उपकरणों में उन्नत तकनीक वाली धातु की आवश्यकता होती है। प्रयोगशाला ने डीएमआर -1700 उच्च-प्रदर्शन स्टील फोर्जिंग और मिल फॉर्म निर्माण की तकनीक भी विकसित की है, जिसे सारलोहा एडवांस्ड मैटेरियल प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया है।

इसके अलावा, बेहद उन्नत और महत्वपूर्ण व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म वाहनों के लिए हल्के समग्र कवच की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खास तकनीक विकसित की गई है।

यह तकनीक लाइटवेट कॉम्पोजिट आर्मर का निर्माण करती है। यह अत्याधुनिक तकनीक एनबीटी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की गई है। इस बड़ी पहल पर डीआरडीओ के अध्यक्ष और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने डीएमआरएल के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी।

डीआरडीओ के अध्यक्ष ने कहा कि इन महत्वपूर्ण तकनीकों का स्वदेशी विकास और उद्योग को हस्तांतरण ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि इससे भारतीय सशस्त्र बलों के लिए इन सामग्रियों की विश्वसनीय और सतत आपूर्ति का एक मजबूत औद्योगिक तंत्र विकसित होगा। कार्यक्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिकों, उद्योग साझेदारों और रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लिया और उन्नत सामग्री विज्ञान में डीएमआरएल के योगदान की सराहना की।

Point of View

बल्कि भारतीय उद्योग को भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए सशक्त बनाएगा।
NationPress
19/11/2025

Frequently Asked Questions

भारत में रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता का महत्व क्या है?
यह भारत की सुरक्षा को मजबूत करने और विदेशी निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।
डीआरडीओ क्या है?
डीआरडीओ, यानी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, भारत सरकार का एक प्रमुख रक्षा अनुसंधान संस्थान है।
क्या एमका विमान स्वदेशी है?
हाँ, एमका एक स्वदेशी लड़ाकू विमान है जो भारत द्वारा विकसित किया जा रहा है।
रक्षा उपकरणों के निर्माण में कौन सी कंपनियाँ शामिल हैं?
भारतीय कंपनियाँ जैसे सेल, जेएसडब्लू स्टील और एनबीटी इंटरनेशनल इस निर्माण में शामिल हैं।
आत्मनिर्भर भारत का क्या अर्थ है?
यह एक ऐसा संकल्प है जहां भारत अपने सामरिक और आर्थिक क्षेत्रों में आत्म-निर्भरता प्राप्त करना चाहता है।
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