क्या सबरीमाला में श्रद्धालुओं की भीड़ के प्रबंधन पर केरल हाईकोर्ट ने सख्त कार्रवाई की?
सारांश
Key Takeaways
- हाईकोर्ट ने सरकार और देवस्वोम बोर्ड को फटकार लगाई।
- श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
- भीड़ प्रबंधन की ठोस योजना बनाई जानी चाहिए।
तिरुवनंतपुरम, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल उच्च न्यायालय ने सबरीमाला मंदिर में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ और इसके बुरे प्रबंधन को लेकर केरल सरकार और त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड को सख्त फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि भक्तों की सुरक्षा को खतरे में डालकर केवल संख्या बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस अनिल के. नरेंद्रन और जस्टिस पी.जी. अजितकुमार की बेंच ने कई सवाल उठाए। अदालत ने पूछा कि मंदिर की क्षमता से अधिक लोगों को अंदर क्यों जाने दिया जा रहा है? भक्तों को धक्के देकर अंदर धकेलने का कोई अर्थ नहीं है। क्या हमें एक मिनट में 80 लोगों को जबरन प्रवेश कराना चाहिए? अदालत ने चेतावनी दी कि यदि कोई अप्रिय घटना हुई, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
अदालत ने कहा कि मंडला-मकरविलक्कु सीजन की तैयारी कम से कम छह महीने पहले शुरू हो जानी चाहिए थी। वर्चुअल कतार की संख्या को बहुत पहले कम करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। देवस्वोम बोर्ड ने जानकारी दी कि स्पॉट बुकिंग के बावजूद दस हजार से अधिक लोग बिना अनुमति पहाड़ी पर चढ़ गए, जिससे स्थिति बेकाबू हो गई।
हाईकोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही बताया और पूछा कि जब ऑनलाइन और वर्चुअल कतार व्यवस्था है, तो इतने लोगों को बिना बुकिंग कैसे चढ़ने दिया गया? अदालत ने स्पष्ट किया कि श्रद्धा के नाम पर लोगों की जान से खेलना स्वीकार नहीं किया जाएगा।
अदालत ने केरल सरकार, देवस्वोम बोर्ड, पुलिस और सभी संबंधित अधिकारियों को शुक्रवार तक अपने पक्ष और अब तक किए गए इंतजामों का पूरा विवरण देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही भविष्य में भीड़ प्रबंधन के लिए ठोस योजना बनाने को कहा गया है।
सबरीमाला में पिछले कुछ दिनों से भारी भीड़ जमा हो रही है। कई श्रद्धालुओं को घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है और कई जगहों पर भगदड़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में हस्तक्षेप किया था।