क्या प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक खेती के लिए अपार संभावनाओं का आह्वान किया?
सारांश
Key Takeaways
- प्राकृतिक खेती 21वीं सदी की आवश्यकता है।
- रासायनिक खाद का अत्यधिक उपयोग मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित करता है।
- कृषि निर्यात दोगुना हुआ है।
- बिहार में प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाएँ हैं।
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त जारी की गई।
भागलपुर, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण भारत के कोयंबटूर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्राकृतिक खेती पर एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने देशभर के किसानों और नवोन्मेषकों को लाइव संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती अब 21वीं सदी की आवश्यकता बन गई है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रासायनिक खाद के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिसे बचाने के लिए फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती सबसे प्रभावी उपाय हैं।
इस अवसर पर बिहार के भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय (सबौर) के कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "प्रधानमंत्री ने पिछले 11 वर्षों में कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलावों की चर्चा की, विशेषकर कृषि निर्यात के दोगुना होने का उल्लेख किया। प्राकृतिक खेती न केवल मिट्टी और पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मददगार साबित हो रही है।"
उन्होंने आगे कहा कि बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्यों में आने वाले वर्षों में कृषि आधारित उद्योग क्षेत्रों का विस्तार होगा, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। पीएम मोदी का यह संबोधन प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
डॉ. डीआर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बुधवार को देश के लगभग 9 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त का पैसा जारी किया। इसके साथ ही प्राकृतिक खेती पर भी बात की है। इससे यह प्रतीत होता है कि देश की राज्य सरकारें और केंद्र सरकार मिलकर कुछ बड़ा प्रोजेक्ट बनाने की योजना बना रही हैं, जिससे हर राज्य को बड़ा प्रोजेक्ट मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि बिहार में प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाएं हैं। बिहार राज्य के 11 से 12 जिलों में, जो गंगा के किनारे स्थित हैं, वहां प्राकृतिक खेती की संभावना सबसे अधिक है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से श्री अन्न योजना को भी सहारा मिलेगा। मुझे खुशी है कि बिहार सरकार और केंद्र सरकार ने श्री अन्न योजना पर काफी प्रयास किए हैं।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती करने से मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और इसमें तेजी लाने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि किसान अपने खेतों में थोड़ा-थोड़ा कर प्राकृतिक खेती कर सकते हैं। इससे लाभ मिलने पर किसान खुद इसे अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।