क्या आईआईटी-आईआईएम समेत 7 राज्यों के 29 शिक्षण संस्थानों से गुजरेगी भारत शोध यात्रा?

सारांश
Key Takeaways
- भारत शोध यात्रा 2025 का उद्देश्य अनुसंधान में समग्रता और समावेशिता को बढ़ावा देना है।
- महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सुरक्षित और सहायक वातावरण की आवश्यकता है।
- प्रमुख शिक्षण संस्थानों का दौरा इस यात्रा का हिस्सा है।
- अनुसंधान में नैतिकता और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- यह पहल भारत के विकसित दृष्टिकोण में योगदान करेगी।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से देश में ‘भारत शोध यात्रा’ का आयोजन किया जा रहा है। स्प्रिंगर नेचर ने शिक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर अनुसंधान में समग्रता, समावेशिता और नवाचार को बढ़ावा देने हेतु यह महत्वाकांक्षी पहल प्रस्तुत की है।
यह शिक्षा और अनुसंधान से संबंधित यात्रा देश के 15 शहरों और 7 राज्यों में स्थित 29 प्रमुख शिक्षण संस्थानों से गुजरेगी। केंद्र सरकार के अनुसार, इसमें ओपन एक्सेस, अनुसंधान समग्रता, विविधता, समावेशिता और नैतिक विद्वता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस यात्रा में आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी कानपुर, आईआईटी गुवाहाटी, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (नई दिल्ली), आईआईएम कलकत्ता, आईआईएम लखनऊ और आईआईएम बोधगया जैसे प्रमुख संस्थान शामिल हैं।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने सोमवार को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर), नई दिल्ली में इस भारत शोध यात्रा 2025 को औपचारिक रूप से आरंभ किया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि ज्ञान, अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से महिलाओं और बच्चों को सशक्त करने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता अटूट है।
उन्होंने कहा कि यह भारत शोध यात्रा देश भर के शोधकर्ताओं से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह यात्रा महिलाओं को अनुसंधान में प्रोत्साहन देती है, विद्वता में नैतिकता को मजबूत करती है, और सभी के लिए अवसरों एवं संसाधनों तक समान पहुंच सुनिश्चित करती है। उन्होंने आगे कहा कि महिला शोधकर्ताओं का सशक्तिकरण एक समावेशी ज्ञान अर्थव्यवस्था के निर्माण का आधार है। नैतिक शोध प्रथाओं को बढ़ावा देकर और ज्ञान तक पहुंच को सामान्य बनाकर यह पहल विकसित भारत के दृष्टिकोण में योगदान देती है।
ठाकुर ने कहा कि मंत्रालय का जोर विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में महिला शोधकर्ताओं के लिए सुरक्षित, सहायक और अवसरों से भरा वातावरण सुनिश्चित करना है। उन्होंने स्प्रिंगर नेचर और आईसीएसएसआर की सराहना की कि इस दौरे में लैंगिक समानता, नैतिक प्रकाशन प्रथाओं और ‘हर रिसर्च, अवर फ्यूचर’ पहल पर चर्चाएं शामिल हैं। ये पहल शिक्षा और नीति-निर्माण में महिलाओं की आवाज़ को मुख्यधारा में लाने के मंत्रालय के मिशन के अनुरूप हैं।
इस अवसर पर स्प्रिंगर नेचर के सीईओ फ्रैंक व्रेनकेन पीटर्स, स्प्रिंगर नेचर इंडिया के प्रबंध निदेशक वेंकटेश सर्वसिद्धि और आईसीएसएसआर के सदस्य सचिव प्रोफेसर धनंजय सिंह भी उपस्थित थे।
स्प्रिंगर नेचर का कहना है कि वे तकनीकी-संचालित प्लेटफार्मों के माध्यम से शोधकर्ताओं को अपनी खोजों को साझा करने में सहायता कर रहे हैं। भारत शोध यात्रा 2025 के प्रमुख स्तंभों में ओपन एक्सेस (ओए) को बढ़ावा देना, एक राष्ट्र, एक सदस्यता (ओएनओएस) के प्रति जागरूकता बढ़ाना, अनुसंधान समग्रता को प्रोत्साहित करना और प्रकाशन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका का अध्ययन करना शामिल है।