क्या बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर 'वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया' का रिएक्शन लोकतंत्र के लिए खतरा है?

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क्या बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर 'वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया' का रिएक्शन लोकतंत्र के लिए खतरा है?

सारांश

क्या बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण से लोकतंत्र को खतरा है? 'वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया' ने चुनाव आयोग के निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताई है। जानिए क्या है इस मुद्दे का पूरा सच और इसके संभावित परिणाम।

Key Takeaways

  • मतदाता सूची पुनरीक्षण का निर्णय विवादास्पद है।
  • बिहार में 73% क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित हैं।
  • लाखों प्रवासी बिहारी मजदूरों की स्थिति चिंताजनक है।

नई दिल्ली, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 'वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया' ने बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के चुनाव आयोग के निर्णय की तीव्र आलोचना की है। पार्टी का कहना है कि इस निर्णय के कारण करोड़ों असली मतदाताओं के नाम सूची से हट सकते हैं, जो लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है।

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सैयद कासिम इलियास ने इस निर्णय पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे 'शातिर और संदिग्ध योजना' करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे बड़ी संख्या में योग्य मतदाताओं को वोट डालने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।

उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब बिहार के 73 प्रतिशत क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित हैं, तब केवल 25 दिन में 8 करोड़ मतदाताओं की नई सूची तैयार करना कैसे संभव होगा, खासकर जब चुनाव नवंबर में होने वाले हैं? यह पूरा प्रयास मतदाताओं को 'जानबूझकर बाहर करने' के इरादे से किया जा रहा है।

डॉ. इलियास ने यह भी चिंता जताई कि दस्तावेजों की जांच की जिम्मेदारी जिन लाखों सरकारी कर्मचारियों को सौंपी गई है, वे मनमानी कर सकते हैं। यह तय करना कि कौन वोट देगा और कौन नहीं, एक व्यक्ति या कर्मचारी के अधिकार में नहीं होना चाहिए। यह मताधिकार के मूल अधिकार को नुकसान पहुंचाता है।

प्रवासी बिहारी मजदूरों की स्थिति पर उन्होंने कहा कि लाखों मजदूर इस समय बिहार से बाहर हैं और आमतौर पर चुनाव के समय अपने गांव लौटकर वोट डालते हैं। लेकिन अब आशंका है कि वे नई सूची में शामिल नहीं होंगे और उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं मिल पाएगा।

उन्होंने एक प्रेस रिलीज में बताया कि विपक्षी 'इंडिया' ब्लॉक ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से मुलाकात की और इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया। इस निर्णय को संविधान की बुनियादी संरचना पर हमला बताया गया। 'वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया' विपक्षी गठबंधन के साथ मिलकर इस अन्यायपूर्ण कदम के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करेगी।

उन्होंने कहा, 'चुनाव आयोग' एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है जिसकी जिम्मेदारी निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराना है। वह किसी सरकार, विशेषकर भाजपा सरकार, के राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने का उपकरण नहीं बन सकता।

Point of View

NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण का मुख्य कारण क्या है?
मतदाता सूची का पुनरीक्षण चुनाव आयोग द्वारा निर्वाचन प्रक्रिया को सुधारने के लिए किया जाता है।
क्या इस पुनरीक्षण से असली मतदाताओं के नाम हट सकते हैं?
हां, इस पुनरीक्षण के कारण करोड़ों असली मतदाताओं के नाम हटने का खतरा है।
वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया का इस मुद्दे पर क्या कहना है?
पार्टी ने इसे लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा बताया है।