क्या हुमायूं कबीर के बाबरी मस्जिद निर्माण के ऐलान पर भाजपा नेताओं ने जवाब दिया?
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा ने बाबरी मस्जिद के निर्माण का विरोध किया।
- हुमायूं कबीर का बयान विवादास्पद है।
- टीएमसी की राजनीति पर सवाल उठाए गए हैं।
- बाबर
- सांप्रदायिक तनाव की आशंका।
नई दिल्ली, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक हुमायूं कबीर के मुर्शिदाबाद में 6 दिसंबर को 'बाबरी मस्जिद' बनाने के ऐलान का कड़ा विरोध किया है। भाजपा नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि बाबर के नाम पर भारत में एक भी ईंट नहीं रखने दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "बाबर एक विदेशी आक्रांता था, जिसने भगवान राम के जन्मस्थान पर असली राम मंदिर को तोड़कर वहां एक ढांचा खड़ा किया था।"
उन्होंने टीएमसी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राजद को हिंदू-विरोधी और राम-विरोधी पार्टी बताते हुए कहा, "बाबर के नाम पर समर्थन करना गलत है। वह ढांचा 6 दिसंबर 1992 को राम-भक्त कारसेवकों ने गिराया था। उस बाबर के नाम पर भारत में एक भी ईंट नहीं रखने दी जाएगी।"
भाजपा प्रवक्ता यासिर जिलानी ने कहा, "टीएमसी नेता, खासकर विधायक हुमायूं कबीर, नफरत की राजनीति के लिए जाने जाते हैं। वे सिर्फ तुष्टीकरण के लिए राजनीति करते हैं। वे जानबूझकर बंगाल में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर रहे हैं। वे जानते हैं कि आने वाले चुनावों में लोग टीएमसी को नकार देंगे।"
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक बदलाव की लहर उठ रही है। इसी बेचैनी के कारण हुमायूं कबीर और टीएमसी के बड़े नेता अपने वोट बैंक को बचाने के लिए लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने भी टीएमसी विधायक के बयान पर प्रतिक्रिया दी। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "सनातनी परंपराएं हों, देश के मानबिंदु हों या देश का गौरवगान हो, टीएमसी सभी को समाप्त करना चाहती है। देश के बहुसंख्यक समाज को भी दबाने की कोशिश कर रहे हैं।"
अयोध्या के संतों ने भी टीएमसी विधायक के बयान का विरोध किया। करपात्री महाराज ने हुमायूं कबीर को जवाब देते हुए कहा, "भारत में कहीं भी बाबर के नाम पर कोई मस्जिद नहीं बनेगी। यह बात पक्की है।"
महामंडलेश्वर विष्णु दास ने कहा, "टीएमसी विधायक भारत में रहते हुए भी किसी न किसी तरह से कोर्ट, संविधान और कानून के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर रहे हैं। जब उन्हें बाबरी मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दी गई है, तो वे ऐसे काम कर रहे हैं जिससे एक संस्कृति और सनातन धर्म के मानने वालों की आस्था को ठेस पहुंच रही है।"